अनुश्रुति – जनश्रुति : 2004 में 57 लाख घुसपैठिये बंगाल में.. मल मल के जिस्म इतना पानी में मत नहाओ… वो फिर जीत गया तुमसे…

लो वो फिर से जीत गया तुमसे

किसी को हराना हो तो उसे छोटा मत दिखाओ, खुद की लकीर बड़ी कर दो।


पिछले साल की 26 जनवरी कौन भूल सकता है, जब हजारो ख़ालिस्तानियों ने लाल किले पर तोड़ फोड़ की थी, तिरंगे को शर्मिंदा किया था, और सिख धर्म का भी अपमान किया था।
आज उस लकीर को लम्बा कर दिया गया है….. बिना किसी का अपमान किये, बिना कोई तोड़ फोड़ किये, बिना कैनड्डा वालो से dollar लिए..

लो वो फिर से जीत गया तुमसे..
जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल।।

भारत एक देश है या धर्मशाला ?

14 जुलाई, 2004 को गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संसद को बताया था कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों की संख्या 57 लाख है।

अब एक अनुमान लगाइए।

पहले की वाम सरकार व बाद की ममता सरकार की मेहरबानियों से आज यह संख्या बढ़कर

कितनी हो गई होगी ???

भारत एक देश है या धर्मशाला ?

Harem: The World Behind the Veil लिखने वाले लेखक ने लिखा था कि पश्चिम की लेखिकाएं और पश्चिम के लेखक मुगलों के हरम से बहुत प्रभावित रहा करते थे, इसलिए मुगलों का ग्लोरिफिकेशन करते रहते थे, और मिशनरीज़ ने जो इतिहास लिखा है, उसका खंडन कई बार किया जा चुका है, इसलिए अध्ययन समग्र होना चाहिए
जैसे शिवाजी को पश्चिम के मिशनरी लेखकों ने केवल पहाड़ी चूहा कहा जबकि वह क्या थे, हिन्दू ही जानता है! इसलिए मिशनरी और वाम लेखकों पर ध्यान देने के स्थान पर भारतीय स्रोत खोज कर पढ़ें,
यह जानते हैं कि कठिन कार्य है, दुसाध्य है, परन्तु यही करना होगा!

 

किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले…

पंजाब की ‘आप’ सरकार ने राज्य के उन किसानों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिन्होंने खेती के नाम पर कृषि विकास बैंकों से कर्ज तो लिया लेकिन उसे वापस नहीं किया।
सरकार के अनुसार प्रदेश के 71 हजार किसानों से बैंकों के 3200 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है, जिसके लिए कदम उठाते हुए 60000 डिफाल्टर किसानों में से 2000 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तैयार कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
ये वही आप वाले हैं जो एक साल ‘किसानों के हक की लड़ाई’ लड़ रहे थे दिल्ली बॉर्डर पर….. आज सत्ता मिली तो 2000 किसानों को जेल में डालने की तैयारी हो गयी है… खैर अपने को क्या ?

भ्रम में कांग्रेस…

 सोनिया जी की कांग्रेस श्री राम को काल्पनिक बताती थी, राहुल कहते है वो श्री राम पर कैसे यकीन करें? वो अयोध्या गये थे तो हनुमानगढ़ी से ही लौट गए थे रामलला के दर्शन ही नही किये थे…

यहां मप्र में कांग्रेस रामनवमी व 16 को हनुमान जयंती धूम धाम से मनाने का परिपत्र जारी कर दिया था…

नेतृत्व अलग राह पर, पार्टी अलग राह पर…

 

ऐ जाने चमन तेरा गोरा बदन

कबीर का दोहा , रसखान के छंद , तुलसी की चौपाई , गिरिधर की कुंडलियां , कविराज का सोरठा , पिंगल का रोला , अज्ञेय सहित सात कवियों के तार सप्तक , पंत की कविता, मुक्तिबोध की नई कविता , मीर की गजल , निराला का पद्य , फ़राज़ के नज्म , दुष्यंत की शायरी , झूमर – डोमकच , गीतगोविन्द , लोरी , ठुमरी , सावन …. सबकुछ इन चार लाइनों में समाहित है । इसमें कवित्त के सभी नौ रस शामिल हैं। आप जिस नजरिये से देखें वह उसी खांचे में फिट बैठता है।

इन चार पंक्तियों के भाव मे नही स्वर में जाता हूँ तो अपनी पुरानी मासूमियत पर ठठाकर हंस लेता हूँ। कहानी दोहरा रहा हूँ लेकिन दिलचस्प है इसलिए दुबारा भी पढ़ लीजिएगा तो मजा ही आएगा । एक फ़िल्म आयी थी अनमोल मोती । फ़िल्म की कहानी वहानी से मुझे कोई मतलब नही था बल्कि पानी मे तैरती हुई सुंदरी और उसे केंद्रित कर गाये गाने पर अपन कंसन्ट्रेट किये हुए था । तीक्ष्ण बुद्धि का भी था सो गाना ब – राग याद कर लिया । उस जमाने मे संगीत का एक क्लास भी हुआ करता था । चौथी क्लास का छात्र था । सर की पत्नी संगीत का क्लास लेती थी । उस दिन हुकुम हुआ कि सबलोग गाना सुनाएंगे , जो भी गाना आता हो ।

मुझसे पहले वाले सहपाठी देशप्रेम , वीररस , संत वचन , बालगीत गाकर शाबासी लेकर इतरा रहे थे । मेरा नम्बर जैसे ही आया महीनों से मन मे रियाज़ किये हुए गीत को गाना शुरू किया —- ‘ ऐ जाने चमन तेरा गोरा बदन , जैसे खिलता हुआ गुलाब , जालिम तेरी जवानी कयामत तेरा शबाब ”

अभी मेरी गायकी शबाब पर आई भी नही थी कि मैडम ने मुझे रोक दिया और हाथ मे दो तीन स्केल जड़ दिए।

मेरा मासूम मन हाहाकार कर उठा । स्कूल में उस दिन जितना रोया शायद किसी क्लास में फेल होने पर भी नही रोता । बहरहाल , सिसकता हुआ बड़े भाइयों के पास गया । मुझे सिसकता देखकर उनका भी गुस्सा सातवे आसमान पर था । लेकिन मेरी कहानी सुनकर वे भी हंसी नही रोक सके।

वर्षो बाद उस मैडम के रूखेपन के कारणों का अहसास हुआ । आज सोचता हूँ कि उस दिन गाने का मुखड़ा पर ही मुझे रोक दिया था ,अगर अन्तरे को गाने की अनुमति मिलती तो स्केल नही मुदगर से पिटता.. क्योंकि अंतरा और भी खतरनाक है — मल मल के जिस्म इतना पानी मे मत नहाओ …

बरहाल आज पुष्पा और रमेश के इस मंत्र को आप भी जाप कीजिये और कलियुगी प्रेम के इस प्रसंग पर विभोर होइए।

 

वैक्सीन पर प्रश्नचिंह खड़ा करने वाले भारतीय दोगलो के लिए...

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