..अवतार मांस मछली खाते थे ? केरल स्टोरी नहीं चाहिए तो….

स्वामी विवेकानंद अपने व्याख्यानों में अक्सर प्रभु राम, सीता जी और कृष्ण जी का उल्लेख करते थे। विदेश में उनसे किसी ने पूछा-

आपके इन सबके प्रति विचारों का क्या होगा अगर कल को ये सिद्ध हो गया कि राम, कृष्ण और सीता वगैरह काल्पनिक चरित्र थे?

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बिना इधर उधर की बात किए स्वामी जी तत्क्षण कहा:- फिर मैं उस जाति में जन्म लेने पर गर्व करुंगा जिसके पूर्वजों ने अपनी कल्पना में भी ऐसे उद्दात्त और महान आदर्श रखे हैं।

ऐसी ही एक घटना इस्कॉन के फाउंडर भक्ति वेदांत प्रभुपाद जी के साथ हुआ था जब उनसे किसी विदेशी ने धर्म ग्रंथों से उल्टे सीधे हवाले देते हुए पूछ लिया कि क्या आपके अवतार मांस मछली खाते थे?

प्रभुपाद जी ने छूटते ही उत्तर दिया :- प्रलय काल में सारे जगत को लील जाने वाले प्रभु ने अगर मांस मछली खा भी लिया तो कौन सा हैरत है।

वो व्यक्ति अपना सा मुंह लिए लौट गया।

ओशो कहते थे कि जब अपने धर्म को डिफेंड करने की बात आए तो विवेकानंद से बड़ा असहिष्णु कोई नहीं था क्योंकि अपने धर्म के “कोर प्रिंसिपल्स” पर उनके जितना तगड़ा बिलीफ किसी को भी नहीं था। कभी न डिगने वाला, कभी न समझौता करने वाला, कभी सफाई न देने वाला, कभी लज्जित न होने वाला हिंदू अभिमान था उनके पास।

अपनी बच्चियों का प्रबोधन इस लाइन पर करिए…….कोई भी कल को किसी भी तरीके से, किसी भी तर्क से, कैसी भी व्याख्या से या किसी भी संदर्भ से उसके हिंदू विश्वास को हिला नहीं सकेगा।

हमें आगे और केरल स्टोरी नहीं चाहिए तो ये करना पड़ेगा।

साभार – सोशल मीडिया से

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