कौशल सिखौला : सतीत्व के बल पर मृत्यु के देवता को परास्त करने वाली महान सन्नारी
सतीत्व के बल पर मृत्यु के देवता को परास्त करने वाली महान सन्नारीकी कथा
मृत्यु के देवता यमराज से पति सत्यवान को वापस ले आई थी सावित्री
अनवरत दांपत्य सूत्र बंधन का अनोखा पर्व बड़ मावस
यमराज मृत्यु के देवता हैं । समय आने पर राजा हो या रंक , उनके यमपाश से कोई नहीं बच पाता । पौराणिक आख्यानों के अनुसार आज वही बड़ मावस है , जिस दिन पति की मृत्यु के बाद उसके प्रेम में पगी सावित्री यमराज से सत्यवान को वापस ले आई थीं । बड़ मावस अर्थात वट सावित्री व्रत के दिन देश भर की स्त्रियां बड़ की पूजा करती हैं । सौभाग्यवती महिलाएं पति और संतान की दीर्घायु के लिए पूरे दिन व्रत रखकर बायने निकालती हैं , वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं , सूत के धागे लपेटते हुए वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं ।
वट सावित्री व्रत पर्व भरणी नक्षत्र और शोभन योग में मनाया जाएगा । इसका मुहूर्त सवेरे 4 बजे से शाम 4.30 बजे तक बना रहेगा । इस पर्व पर अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु की कामना कर स्त्रियां वट वृक्ष की पूजा करती हैं , परिक्रमा करती हैं । इस क्षेत्र में महिलाएं अपने घर में वट की टहनी लाकर भी पूजा कर लेती हैं और पूजा के लिए बड़ के पेड़ पर भी जाती हैं ।
वट सावित्री व्रत से भारत की महान सन्नारी सावित्री और उसके पति सत्यवान की कथा जुड़ी है । सत्यवान अपने परिवार के लिए लकड़ी काटने जंगल में गए थे । लकड़ी काटते हुए अचानक उनका प्राणांत हो गया । साथ गई सावित्री उनकी पार्थिव देह को लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठ गई और प्राण लेने आए यमराज का विरोध किया ।
कथा के अनुसार जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर यमलोक के लिए चले तो सावित्री अपने सतीत्व और निष्ठा के बल पर देह को वहीं छोड़कर यम के पीछे पीछे चल पड़ीं । यमराज ने जब देखा कि एक जीवित स्त्री पति प्रेम के बल पर पीछे पीछे आ रही है , तब यमराज ने उन्हें वापस लौटने को बार बार कहा । परन्तु सावित्री नहीं मानी । हैरान यमराज ने सावित्री पर अपनी शक्तियों का प्रयोग किया , पर सावित्री का कुछ न बिगड़ा ।
तब यमराज ने सावित्री से कोई वरदान मांगने की बात की । सावित्री ने बड़ी चतुराई से पुत्रवती होने का वरदान मांग लिया और यम ने तथास्तु कह दिया । फिर भी सावित्री पीछे आती रही । तब सावित्री ने कहा कि वे पति को साथ ले जा रहे हैं । उसके बगैर वह पुत्रवती कैसे हो सकती है । सावित्री का पति के प्रति समर्पण और बल देखकर यमराज प्रसन्न हुए और न केवल सत्यवान के प्राण लौटा दिए , अपितु उसे एक राज्य का राजा भी बना दिया ।
तभी से ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर बड़ मानस के दिन वट सावित्री पर्व मनाया जाता है । सावित्री की गणना सतीत्व के बल पर मृत्यु के देवता को परास्त करने की शक्ति रखने वाली महान स्त्री के रूप में होती है । हमारा इतिहास ऐसी ही अनेक शक्तिशाली नारियों की गाथाओं से भरा पड़ा है ।