प्रसिद्ध पातकी : सूचना क्रांति में नारद जी की बढ़ती प्रासंगिकता
आज का दिन गोचर के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। आज ही के दिन गोचर में भ्रमण करते हुए सूर्य देव वृष राशि में प्रवेश करेंगे। इसके अलावा बुध महाराज मेष राशि के दूसरे नक्षत्र भरणी में प्रवेश करेगा, जिसका स्वामी शुक्र होता है। गोचर की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बृहस्पति देव आज मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करेंगे यानी सुरगुरु अब वृष राशि को त्याग कर मिथुन राशि में संचरण करने लगेंगे।
आज ही नारद जयंती भी है। नारद ऋषि वैसे तो भक्ति के आचार्य हैं और ‘नारायण’ नाम का सदा संकीर्तन करते रहते हैं।पर भक्ति मार्ग में उनका नारद भक्ति सूत्र बहुत ही सरस रचना है। मेरी पसंदीदा। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नारद जी ज्योतिष के भी मनीषी हैं। भारतीय ज्योतिष मुख्यत: ऋषियों की विद्या मानी जाती है जिनमें पाराशर और जैमिनी के अलावा नारद और भारद्वाज ऋषि का नाम आता है। ज्योतिष संबंधी नारद संहिता अपने आप में एक परिपूर्ण ग्रन्थ है जिसमें ज्योतिष के तीनों स्कंध..सिद्धान्त, संहिता और होरा पर विषद् वर्णन है। साथ ही इसमें वास्तु से संबंधित कई उपयोगी सूत्र दिये गये हैं।
मजेदार बात है कि नारद जी ने संहिता लिखी और स्वयं उनके नाम का भारतीय ज्योतिष में उपयोग भी किया गया है। होरा ज्योतिष में राशि को कई वर्गों में विभाजित किया गया है। इसमें एक वर्ग है द्रेष्काण। एक राशि यानी तीस अंश को जब तीन भागों में विभाजित करेंगे तो एक भाग दस अंश का आएगा। पाराशर ज्योतिष में इन तीनों भागों का नामकरण भी किया गया है। पहला भाग है नारद द्रेष्काण, दूसरा है अगस्त्य द्रेष्काण और तीसरा है दुर्वासा द्रेष्काण।
जैसा कि आप जानते हैं कि नारद जी को ‘‘आदि पत्रकार’’ कहा जाता है। नारद जी एक लोक की बात दूसरे लोक तक ले जाते हैं। जगत के सारे दुखी जीव-जंतुओं की पीड़ाओं को भगवान श्रीमन्नारायण के समक्ष उठाते हैं। यह एक रूपक भी है और 24 कैरेट सच्चाई भी। जिन लोगों का जन्म के समय लग्न शून्य से दस डिग्री के बीच में होता है वे किसी न किसी तरह से संचार के क्षेत्र में कार्यरत होते हैं या उनका संवाद-संचार बहुत अच्छा होता है या वे मीडिया जगत से जुड़े होते हैं। अर्थात नारद जी की उन पर कृपा बनी रहती है।
वैसे भी सूचना क्रांति विशेषकर कोरोना महामारी के उपचार के बाद इस जगत का हर मनुष्य कमोबेश संचार जगत से जुड़ गया है। कई लोग यह भी मानते हैं कि आज का मनुष्य सूचना एवं संचार जगत के मकड़जाल में बुरी तरह उलझ गया है। ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो नारद जी बुध ग्रह के मूर्तिमान स्वरूप हैं। बुद्धिमत्ता, हास-परिहास, गूढ़ ज्ञान, रसमयी भक्ति बुध ग्रह के भी लक्षण हैं और नारद जी के गुण भी। रोचक बात है कि बुध की तरह नारद जी को लोगों के लक्ष्य से भटकाने में मजा आता है। आपने संकल्प किया कि आज एक घंटा जमकर पढ़ना है किंतु दस मिनट बात मन में यह बात उठी कि चलो एक बार मोबाइल नोटिफिकेशन देख लिया जाए, शायद कोई लाभप्रद सूचना आयी हो। किंतु नोटिफिकेशन देखने के चक्कर में अगला डेढ़ घटना रील देखने में निकल गया। सूचना एवं संचार ने बुद्धि फेर दी, मन पलट दिया। इससे भी दिलचस्प बात है कि दूसरों को भरमाने वाले नारद जी की स्वयं की बुद्धि भी कभी कभी फिर जाती है। यह भगवान की कौतुकी लीला है। उनके शाप में भी वरदान है और वरदान भी शाप बन जाते हैं। यही है कौतुकी लीला।
नारद जयंती की शुभकामनाएं। जय श्रीमन्नारायण।।
