मनीष शर्मा : मोदी ने किया ही क्या है ? -भाग 10 – नार्थ-ईस्ट कनेक्टिविटी
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रणनीतिक रूप से इतने महत्वपूर्ण राज्य होते हुए भी पुरानी सभी सरकारों ने इन सभी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया हमेशा ही। ना इन राज्यो के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर कभी काम हुआ, ना इन्हें पर्याप्त फंड्स मिले। बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर नही होने की वजह से वहां इंडस्ट्रीज भी काफी कम हैं, इस वजह से नौकरियों की संख्या नगण्य है। वहां के लोग जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं, और उसके बाद एनसीआर,बंगलोर, मुम्बई आदि जगह नौकरी की तलाश में चले जाते हैं। इतने सुंदर इलाके को छोड़ शहरी कंक्रीट के जंगलों में कैसे रहते होंगे, ये सोच कर देखिये।
आज से 5-7 साल पहले North-East में भाजपा शून्य हुआ करती थी या एकाध राज्य में हुई भी होगी तो छोटे पार्टनर की तरह सरकार में आई होगी।
लेकिन आज समूचे North East में भाजपा का शासन है…..जानते हैं क्या कारण है???

Infrastructure Development
North East में जितना इंफ्रा Development 2014 के बाद हुआ है, उतना कभी हुआ ही नही। सड़के, रेल नेटवर्क, international airports, मोबाइल और इंटरनेट connectivity…..इन सभी parameters में अभूतपूर्व काम हुआ है।
मणिपुर के खोंग सांग स्टेशन तक रेलवे पहली बार पहुँची है,लोगों की खुशी देखी जा सकती है।
आज से करीब 3.5 साल पहले लिखा था North East connectivity पर….आज गर्व है कि इसमे से अधिकतर प्रोजेक्ट्स या तो Deliver हो चुके हैं, या advanced stage में चल रहे हैं।
पूर्वोत्तर के राज्यों को 7 बहने कहा जाता था, फिर 1975 में सिक्किम जुड़ा और ये 8 राज्य हमारे पूर्वोत्तर के प्रतीक हैं। इन राज्यों में लगभग 4.5 करोड़ लोग रहते हैं, जो भारत की आबादी का लगभग 4% है।
पूर्वोत्तर के राज्यो को आमतौर पर पिछड़ा माना जाता है। सबसे बड़ा कारण है ‘बेसिक्स’ की कमी। बेसिक्स मतलब बिजली, सड़क, रेल और हवाई अड्डे। ये वो बेसिक्स हैं जो किसी भी राज्य के लिए बहुत जरूरी हैं, इनके बिना राज्य की इकोनॉमी, स्वास्थ्य सेवाएं, नौकरियां, परिवहन, सेना का मूवमेंट आदि प्रभावित होता है।
समस्त पूर्वोत्तर राज्य 5000 किलोमीटर से ज्यादा की अंतरराष्ट्रीय सीमा को शेयर करते हैं चीन, म्यांमार,बांग्लादेश जैसे देशों के साथ। ये सभी देश खतरनाक हैं, चीन तो अरुणाचल प्रदेश को हथियाना चाहता है, वहीं म्यामांर में भारत विरोधी आतंकवादी ग्रुप्स के ठिकाने और ट्रेनिंग कैम्प्स हैं। बांग्लादेश के बारे में ना ही बोलें तो बेहतर है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रणनीतिक रूप से इतने महत्वपूर्ण राज्य होते हुए भी पुरानी सभी सरकारों ने इन सभी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया हमेशा ही। ना इन राज्यो के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर कभी काम हुआ, ना इन्हें पर्याप्त फंड्स मिले। बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर नही होने की वजह से वहां इंडस्ट्रीज भी काफी कम हैं, इस वजह से नौकरियों की संख्या नगण्य है। वहां के लोग जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं, और उसके बाद एनसीआर,बंगलोर, मुम्बई आदि जगह नौकरी की तलाश में चले जाते हैं। इतने सुंदर इलाके को छोड़ शहरी कंक्रीट के जंगलों में कैसे रहते होंगे, ये सोच कर देखिये।
अब मुद्दे पे आते हैं, मैं हमेशा से कहता आया हूँ कि कहीं भी बिजली, सड़क, ट्रैन लाइन बना दीजिये, वो इलाका अपने आप ही विकास करने लग जाता हैं। आजादी के बाद से नार्थ ईस्ट में रेलवे का प्रभाव नगण्य ही रहा, केंद्र सरकारों में रेल मंत्रालय एक वोट बैंक मशीन माना जाता था। जिस पार्टी या प्रदेश का नेता रेल मंत्री बनता था, उस राज्य के लिए ही अधिकतर योजनाएं बनाई जाती थी। लालू, नीतीश, ममता बनर्जी के कार्यकाल को आप देख लीजिए, इनके ही राज्यो में अधिकतर ट्रैन चलाई गई। और पूर्वोत्तर को तो भुला ही दिया गया।
अब 2014 आता है, और बस यहीं से कहानी में ट्विस्ट आता है। सुरेश प्रभु रेलवे मंत्री बनते हैं और मोदी सरकार की नई नीतियों की वजह से मात्र 4 साल में देखिये कितने बदलाव आए हैं पूर्वोत्तर राज्यो में।
* मात्र 4 सालो में पूर्वोत्तर के 5 राज्यों (मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा) को ब्रॉड गेज नेटवर्क से जोड़ा गया है।
* पिछले 4 सालों में मीटर गॉज को ब्रॉड गॉज में कन्वर्ट करने का काम हुआ, और 900 किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक्स को कन्वर्ट किया गया। अब पूरे नार्थ ईस्ट में मीटर गॉज लाइन्स खत्म हो गयी हैं।
* मात्र 2016-2017 में ही 29 नई ट्रेन्स नार्थ ईस्ट के लिए शुरू की गई
* आपको ये जानकर झटका लगेगा कि 2008 तक मात्र असम ही एक मात्र पूर्वोत्तर राज्य था जिसकी राजधानी गुवाहाटी में एक रेलवे स्टेशन था। 2008 में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को मीटर गॉज से जोड़ा गया, जिसकी मांग आजादी के बाद से ही उठ रही थी। मोदी सरकार ने 2015 में इस रूट का कन्वर्शन शुरू किया और मात्र एक ही साल में 227 किलोमीटर की लाइन को मीटर गॉज में बदल दिया गया। अगरतला से नई दिल्ली के लिए त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस चालू हुई।
* अगरतला-बदरपुर लाइन आसाम के सिलचर से होती हुई लुमडिंग जंक्शन को कनेक्ट करती है। इस लाइन का ब्रॉड गॉज में बदलने के लिए देवेगौड़ा सरकार ने 1996 में काम approve किया था। उसके बाद अटल सरकार ने बदरपुर से बरियाग्राम सेक्शन बनाने का प्लान approve किया। उसके बाद मनमोहन सिंह सरकार ने 2007-2008 में बरियाग्राम से कुमारघाट सेक्शन approve किया, लेकिन एक इंच भी काम नही हुआ। कारण था फंडिंग का ना होना। घोषणाएं होती थी, फीते काटे जाते थे, अखबारों में छापा जाता था…..लेकिन काम नही हुआ। UPA सरकार ने तो 2004 में इस प्रोजेक्ट को नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा भी दिया, लेकिन 10 सालों में कुछ भी नही कर पाए।
फिर 2015 में सुरेश प्रभु के नेतृत्व में ये कार्य पूरा किया गया और इसी वजह से त्रिपुरा मुख्य नेटवर्क से जुड़ पाया।
* त्रिपुरा से कलकत्ता के लिए डायरेक्ट कंचनजंघा एक्सप्रेस शुरू की गई।
* 2016 में त्रिपुरा से अखौरा (बांग्लादेश) के बीच रेल लाइन का काम शुरू हुआ। ये लाइन सीधा कलकत्ता कनेक्ट होगी और इससे त्रिपुरा से बंगाल की दूरी अभी की 1590 किलोमीटर से घट कर 499 किलोमीटर रह जायेगी।
* सिल्चर उदयपुर ट्रैक 2017 में चालू किया गया।
* सिल्चर सेक्शन में गॉज बदलने की वजह से 3 नई ब्रॉड गॉज ट्रैन शुरू हुई आसाम की बराक वैली से। अब सिल्चर से नई दिल्ली के लिए डायरेक्ट ट्रैन हैं।
* 2016 में मोदी सरकार ने 2 नई माल गाड़ियां शुरू की बदरपुर (असम) से जीरानिया (त्रिपुरा) और जिरिबाम (मणिपुर) की लिए।
* बदरपुर जिरिबाम लाइन की वजह से मणिपुर पहली बार ब्राड गॉज लाइन से जुड़ा।
* त्रिपुरा पूरे देश से मात्र NH-8 से जुड़ा हुआ था। यहाँ भी landslide और अन्य समस्यायों की वजह से माल ढोने वाले ट्रक कई हफ़्तों तक फंसे रहते थे। बदरपुर जिरिबाम मालगाड़ी शुरू होने की वजह से राज्य को काफी राहत मिली।
* अभी जिरिबाम से टुपुल के 84 किलोमीटर ट्रैक पर काम चल रहा है, जो लगभग पूरा हो चुका है, और जल्द ही इम्फाल को इस ट्रैक से जोड़ा जाएगा। सोचिये इम्फाल एक राजधानी है, और अभी तक वहां रेल लाइन नही है। मोदी सरकार इस ट्रैक को इम्फाल से आगे मोरेह तक ले जाने की योजना बना चुकी है, जो म्यांमार की सीमा पर है।
* मिजोरम को ब्रॉड गॉज नेटवर्क से जोड़ा गया जब प्रधानमंत्री मोदी ने 54 किलोमीटर लंबी kathahal(असम) से भैराभी (मिजोरम) लाइन का उद्घाटन किया।
* 2016 से Kathahal-भैराभी लाइन पर एक पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है, जिससे इस इलाके के लोगो को जबरदस्त फायदा हुआ है। अभी इस लाइन को आगे आइज़वल तक बढ़ाने का काम चल रहा है, जो 2020 तक पूरा हो जाएगा। और इसी के साथ एक और राज्य की राजधानी रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी।
* प्रधानमंत्री मोदी ने ही असम से मेंदीपथर लाइन का उद्घाटन किया, जिस की वजह से मेघालय राज्य पहली बार ब्रॉड गेज नेटवर्क से जुड़ा।
* अभी tetelia से byrnihat का 21.5 किलोमीटर का सेक्शन बनाया जा रहा है, और अगले कुछ महीनों में ये तैयार हो जाएगा।
* इसके अलावा 108-km लंबे Byrnihat-Shillong रेलवे ट्रैक का सर्वे हो चुका है, और जल्द ही इस पर भी काम शुरू हो जाएगा।
* 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन से नई दिल्ली की पहली पैसेंजर ट्रेन का उद्घाटन किया। नाहरलागुन अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
* नागरलागुन से गुवाहाटी के लिए शताब्दी ट्रैन शुरू की गई।
* अरुणाचल की ballipara-bhalukpong लाइन का गॉज कन्वर्शन पूरा किया गया।
* इसी साल अप्रैल में रेलवे मिनिस्ट्री ने इन तीन लाइन्स का फाइनल लोकेशन सर्वे आर्डर किया , Arunachal – Bhalukpong-Tenga-Tawang (378 km), North Lakhimpur-Bame-Aalo-Silapathar (247.85 km) and Pasighat-Tezu-ParsuramKund-Rupai (227 km).
* इसमे से Arunachal-Bhalukpong-Tenga-Tawang ट्रैक काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे तवांग के लिए डायरेक्ट कनेक्टिविटी हो जाएगी। तवांग पर हमेशा से चीन की बुरी नज़र रही है।
* इसके अलावा रेलवे मिनिस्ट्री ने 8 नई लाइन्स (625 किलोमीटर लंबी) का इंजीनियरिंग कम ट्रैफिक सर्वे चालू किया है। इन सभी लाइन्स पर जल्दी ही काम होगा।
* नागालैंड 1997 से ब्रॉड गॉज नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।लेकिन 2016 में ट्रैक को 88 किलोमीटर बढ़ा कर ज़ुब्ज़ा तक ले जाया जाएगा, जो नागालैंड की राजधानी कोहिमा से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है। इस तरह एक और राजधानी रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगी। इस ट्रैक पर 2016 से काम शुरू हो चुका है, और अगले 1-2 साल में ये खत्म हो जाएगा।
* सिक्किम एक मात्र पूर्वोत्तर के राज्य है जहां कोई रेलवे लाइन नही है। 2009 में सेवोक(पश्चिम बंगाल) से रांगपो (सिक्किम) के ट्रैक का शिलान्यास किया गया, और तभी से ये काम लीगल कारणों से ठप्प पड़ा था। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बाद काम वापस शुरू हुआ है। और मोदी सरकार इस लाइन को नाथू-ला पास तक बनाने का प्लान बना चुकी है। जो चीन की सीमा पर है।
* मोदी सरकार ने 2020 तक सभी पूर्वोत्तर राज्यो की राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की योजना 2014 में बनाई थी, काफी हद तक इस योजना को पूरा भी कर लिया गया है।
इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यो के नेशनल हाईवे दुरुस्त किये गए हैं, कई हाईवे नए बनाये गए हैं। दूसरी ओर रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (RCS) के अंतर्गत 22 नए हवाई अड्डे पूर्वोत्तर राज्यो में बनाये जा रहे हैं।
अब बताइये मोदी ने कुछ किया या नही?
कुछ लोग कहते हैं कि काम होंगे तो दिखेंगे ही। मेरा ये कहना है कि अक्ल के अंधों को दिखाना पड़ता है। वरना आप खुद सोचिये, हमारे 8 राज्यो में बेसिक कनेक्टिविटी नही 70 सालो में। ऐसे कामो को ढोल बजा कर बताना चाहिए। पूर्वोत्तर के लोगो से पूछिए कि इन कामो से उनकी जिंदगी में कितने बदलाव आ चुके हैं, और कितने आने वाले हैं।




