शुरू होगा बालको का चोटिया खदान ? , कोल इंडिया चेयरमैन अग्रवाल बोले – “…खुद की अपनी माइंस हैं, वे खुद क्यों नहीं कोयले का उत्पादन शुरू करते।”
बालको द्वारा चोटिया स्थित खदान बंद कर 13 अप्रैल 2020 से कोयला उत्खनन और परिवहन बंद कर दिया है। हालांकि शासन ने कोयला उत्खनन को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई है लेकिन बिना शासन को बगैर किसी सूचना दिए खदान बंद करना समझ से परे है। हाल ही में कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल का एक बयान आया था, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि बालको द्वारा लगभग एक वर्ष से अधिक समय से बंद पड़े चोटिया स्थित कोयला खदान को चालू किया जा सकता है।
लगभग 40 अरब रुपयों के राजस्व की हानि
जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि कोरोना काल में MDO (माइंस डेवेलपमेंट ऑफिसर) की नियुक्ति नहीं हो पाई है इसलिए खदान बंद किया गया है। चोटिया खदान की उत्पादन क्षमता लगभ 10 लाख टन वार्षिक है।
खुद की खदान होने के बावजूद SECL से बालको द्वारा अपने पॉवर प्लांट के लिए कोयला लिया जा रहा है। उत्पादन बंद होने के कारण लगभग 250 करोड़ रूपयों के राजस्व की हानि शासन को हो रही है। खदान से 19 अप्रैल, 2036 तक कोयला उत्पादन किया जाना है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ष 2036 तक लगभग 40 अरब रुपयों के राजस्व की हानि शासन को होगी।
देश में कोयले की मौजूदा स्थिति को लेकर कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने पिछले दिनों दैनिक भास्कर से हुई बातचीत के दौरान कहा था कि ” राजस्थान ने पूरे साल कोयला नहीं लिया। पैसे भी नहीं दिए। हमारे 500-600 करोड़ रु. बकाया है। अचानक कोयला मांगेगे तो संभव नहीं होगा। राजस्थान के पावर प्लांट को जितनी जरूरत है, उतना कोयला देंगे। कम कोयला आवंटन की बात गलत है। राजस्थान की खुद की अपनी माइंस हैं, वे खुद क्यों नहीं कोयले का उत्पादन शुरू करते।”
स्पष्ट रूप से श्री अग्रवाल का इशारा इस ओर भी था कि जिन राज्यों के पास या पॉवर प्लांट्स के पास स्वयं के पास कोयले की खदानें हैं, उनको कोल इंडिया के भरोसे नहीं बैठना चाहिए और अपने खदानों में उत्पादन शुरू कर देना चाहिए। शासन की नीतियां समय-समय पर बदलती रहती है और ऐसे में हो सकता है कि आने वाले समय में स्वयं के कोल ब्लॉक होते हुए कोल इंडिया पर निर्भरता नहीं करना चाहिए।
