योगेश किसले : हेमन्त विस्व सरमा और एक हैं हेमन्त शिबू सोरेन..नाम एक..काम में फर्क…
एक हैं हेमन्त विस्व सरमा और एक हैं हेमन्त शिबू सोरेन । नाम एक है तो क्या ?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
दोनों की सोच में फर्क बताता है कि नाम के साथ काम भी महत्व रखता है ।
विधानसभा में मनुवादियो पर तंज करके वे खुद को दलितों और पिछड़ों का मसीहा बनने का ख्वाब देख लिया। इन्ही के बाबूजी शिबू सोबरन सोरेन ने बतौर मुख्यमंत्री मोरहाबादी मैदान में रावण का पुतला फूंकने से इनकार कर दिया था। उनका तर्क था कि रावण उनके पूज्य और आराध्य हैं इसलिए उनका पुतला नही फूंक सकते। उनके ही बेटे मनु के नाम पर विधान सभा में जहर उगल रहे हैं। दरअसल राहुल बाबा ने हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर जो बकैती शुरू की है उसके बाद सोरेन का खून उफान मारने लगा और उन्हें कुछ नही सुझा तो मनुवाद को मुद्दा बना दिया।
मेरा दावा है कि सोरेन ने मनुस्मृति का कवर पेज भी नही देखा होगा। अगर देखा नही तो मनुस्मृति का यह श्लोक सुना होगा । यजुर्वेद का यह श्लोक मनुस्मृति का मूल भाव है…
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
मतलब , दोनों लोक में शान्ति हो , अन्तरिक्ष लोक शान्तिदायक हों, पृथ्वीलोक शान्तिदायक हों। जल, औषधियाँ और वनस्पतियाँ शान्तिदायक हों। सभी देवता, सृष्टि की सभी शक्तियाँ शान्तिदायक हों। ब्रह्म अर्थात परमेश्वर हमें शान्ति प्रदान करने वाले हों। उनका दिया हुआ ज्ञान, वेद शान्ति देने वाले हों। सम्पूर्ण चराचर जगत शान्ति पूर्ण हों अर्थात सब जगह शान्ति ही शान्ति हो। ऐसी शान्ति मुझे प्राप्त हो और वह सदा बढ़ती ही रहे।
अभिप्राय यह है कि सृष्टि का कण-कण हमें शान्ति प्रदान करने वाला हो। समस्त पर्यावरण ही सुखद व शान्तिप्रद हो।
मनुस्मृति को लोग समझे नही हैं। राजनीतिज्ञ तो बिल्कुल नही समझे हैं । और समझे भी हैं तो लकीर के फकीर वाली सोच के तहत समझे हैं । केवल राजनीति करने के लिए समझे हैं।
अब हेमन्त सोरेन इसे कितना समझे हैं यह वे ही बता सकते हैं लेकिन मनुस्मृति के नाम पर राजनीति चमकाने की कोशिश जरूर की है ।
वैसे विधानसभा में उन्होंने बिना झिझक जेपीएससी के कारनामो का मनुस्मृति के नाम पर बचाव किया।
जेपीएससी भी मानता है कि एक लाइन से सफल हुए उम्मीदवारों के मामले में कुछ खेल तो हुआ है लेकिन मुख्यमंत्री यह कहकर कि इस संस्थान में पहले भी कितने घोटाले हुए हैं , शतुरमुर्गी बयान दे डाला । बिहार में जीतन राम मांझी ब्राह्मणों को गरिया रहे हैं और झारखण्ड में सोरेन । विनाशकाले विपरीत बुद्धि ।
