किसी की मदद से मिलने वाली मन की शांति सबसे बड़ा मेडीटेशन : डॉ. रविकांत सिंह राठौर

दुनिया की कोई समस्या जान से बड़ी नहीं होती…

कोरबा।ब्यूरो। ( कोरबा के जिला चिकित्सालय में वर्ष 2014 से बतौर मेडिकल ऑफिसर और इसके बाद वर्ष 2018 से नोडल अधिकारी “मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP)” में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ. रविकांत सिंह राठौर (+91 9617570110 ) जिलेवासियों के लिए एक वरदान हैं।इनका प्रोग्रेसिव सुझाव मरीजों को सशक्त बनाता है। नशे की गिरफ्त में पड़ी हुई युवा पीढ़ी के प्रति उनका मन आशान्वित है कि उनके संपर्क में जो भी एक बार आएगा,वो नशा करना बंद ही कर देगा।भविष्य में इनका इरादा है कि छत्तीसगढ़ में नशे के प्रति लोगों की आसक्ति को देखते हुए वे भविष्य में MD मनोरोग करके कोरबा या सक्ती क्षेत्र में नशा मुक्ति एवम मनोपचार केंद्र स्थापित किया जाए।प्रस्तुत है सकारात्मक विचारों से भरा हुआ उनका अग्रलेख…)

आज समूचा विश्व covid-19 की महामारी से जूझ रहा है और इस लड़ाई में चिकित्सकों का योगदान किसी से छिपा नही है। इस दौरान हमारे कई साथी संक्रमित हुए और कईयों का साथ हमेशा के लिए छूट भी गया है लेकिन लड़ने का जज़्बा बढ़ता ही गया।हममें से कई साथी महीनों से परिवार से दूर है और घर में परिजनों के साथ बैठकर खाने का अवसर ही नहीं मिला है तो दूसरी तरफ अपने बुजुर्गों की सेवा से भी दूर रहें व दवा तक नहीं दे पाए।तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने मैदान नही छोड़ा और डटे हुए हैं। आज डॉक्टर्स डे है तो सोचा कि मौत के बीच रहकर जिस प्रकार की लड़ाई हम लड़ रहें हैं, उसी जज़्बे को उन मन से कमजोर लोगों के सामने रखा जाए जो इस अनंत दुनिया में मौत को अंतिम सच मान बैठते हैं।

लॉकडाउन के दौरान कई हृदय विदारक घटनाएं भी हुई है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह का केस सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, जिसने लोगो खासकर युवाओं के मनोमस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी है।इस घटना के नकारात्मक पक्ष पर बात करना मौजूदा परिवेश में नितांत आवश्यक है क्योंकि सुशांत आज के कई युवाओं के आदर्श भी थे किंतु किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या को सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आत्महत्या किसी भी अस्थायी समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता।जीवन में अधिकांश लोग अपने हक के लिए लड़कर ही आगे बढ़े हैं।जीवन में सबको तकलीफों का सामना करना ही पड़ता है परंतु निदान के लिए हमें समस्याओं और उसके कारणों को समझने का प्रयास करना चाहिए ताकि भविष्य में अगर किसी भी तरह की विषम परिस्थिति आये तो हम समय पर उसका निदान कर लें। जो लोग आपको प्यार करते है, जो आपके साथ है उनको यूँ धोखा देना पाप के समान होता है। जिसकी सज़ा भी वो जाने वाला नहीं बल्कि उसके पीछे जो रह गए उनको काटनी पड़ती है।

दुनियाँ की कोई समस्या जान से बड़ी नहीं होती। छोटी-छोटी चीजें भी आपको खुश रख सकती है। अगर आप संपन्न है तो दूसरों की मदद करिये, कोई ऐसा काम जो दिल को सुकून दे तोकीजिए,जरूरतमंद की मदद से जो सुकून मन को मिलता है वो किसी भी तरह के meditation से नही मिलेगा। अपने आपको व्यस्त रखिये। अपने आस-पास सकारात्मक सोच वाले लोगो को रखिये।नकारात्मक विचारों को,नकारात्मक लोगों को आने ही मत दीजिये। हो सके तो दो-चार ऐसे मित्र बनाइये जिनसे आप सब कुछ share कर सकें।

करीबियों से बात करने मात्र से भी हम डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारी से बच सकते हैं, अंतर्मुखी स्वभाव होना भी आत्महत्या करने का मुख्य कारण है।तनावपूर्ण स्थिति में अकेले रहने से बचना चाहिए और साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए।

योग और व्यायाम शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप में लाभदायक है, सो इसे नियमित तौर पर करना चाहिए। छोटी-बड़ी किसी भी समस्या को लेकर जिंदगी की जंग में हार नही मानना चाहिए क्योंकि रात है तो सुबह भी है, समस्या है तो निदान भी है।हमारी यही समस्या है कि हम अपने दुखों को दूसरे के दुखों से तुलना किए बगैर ही सबसे बड़ा समझ बैठते हैं। आपसे भी ज्यादा बड़ी समस्याओं से लोग लड़ रहे हैं, हार नहीं मानी है।जिंदगी कई बार इम्तेहान लेती है तो उसे लेने दीजिए और हौसले को बढ़ा कर रखिए। जब एक तिनका डूबते का सहारा हो सकता है तो फिर हम अंतिम कोशिश किए बिना मौत को वक्त से पहले क्यों बुलाएं?

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