लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु से जुड़े रिकॉर्ड राज्यसभा के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसा क्यों ?

लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु से जुड़े रिकॉर्ड राज्यसभा के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसा क्यों? दस्तावेजों को जमीन खा गई या आसमान निगल गया। देश के एक प्रधानमंत्री की विदेश में साजिश के तहत की गई हत्या आज तक इस देश के लोग स्वीकार नहीं कर पाए हैं। देश जानना चाहता है कि वो कौन लोग थे जिन्हें शास्त्री जी के निधन से राजनीतिक फायदा होने वाला था।

सूचना आयुक्त आचार्युलू ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि 1970 के दशक में जनता पार्टी सरकार द्वारा शास्त्री जी की मौत की जांच के लिए राजनारायण समिति बनाई गई थी। ऐसे में हैरानी की बात यह है कि इस जांच समिति से जुड़ा कोई रिकॉर्ड राज्यसभा के पास उपलब्ध नहीं है।

जबकि संसद बहुत सावधानी से दस्तावेजों को सहेजने के लिए जानी जाती है। यहां हर एक चीज का रिकॉर्ड और सार्वजनिक दायरे में रखा जाता है। खास बात तो यह है कि संसद कार्यालय इस दिशा में पूरी तरह से समर्पित भी रहता है, लेकिन ऐसे में इस तरह के मामले से जुड़े रिकॉर्ड का गायब हो जाना आश्चर्यचकित करने वाला है।

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यह पूरा मामला ही जांच का विषय है। शास्त्री जी जैसे ईमानदार नेता की हत्या हुई है,जबकि हार्ट अटैक का नाम दिया गया। एक प्रधानमंत्री के रहने के लिए सही व्यवस्था नहीं थी। न मेडिकल सुविधा और न ही कमरे में टेलीफोन। अगर, हार्ट अटैक भी मान लेते हैं, सही समय पर इलाज मिलता तो बच जाते।

एक शाकाहारी व्यक्ति का खाना मुस्लिम रसोइए से बनाने के पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा। वार्ता की जगह से 20 किलोमीटर की दूरी पर ठहराना और किसी तरह की सुविधा न होना,साफ दर्शाता है कि तैयारी पहले से ही की गई थी।

दाल में काला नहीं, पूरी दाल ही काली है। शास्त्री जी जिंदा होते तो इंदिरा गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाती। देश की स्थिति आज कुछ और होती।

एक प्रधानमंत्री को बगैर पोस्टमॉर्टम किए क्यों दाह संस्कार किया गया और अगर, पोस्टमॉर्टम किया गया तो देश से छुपाया क्यों गया?

शास्त्री जी के निजी चिकित्सक की मृत्यु भी सड़क दुर्घटना के तहत हुई है। यह साजिश का अगला हिस्सा है, क्योंकि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस में शास्त्री जी की मृत्यु से संबंधित सवालों का जवाब देने वाले थे।

साभार – वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर जी के TM पर हरेश कुमार जी की पोस्ट

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