दिलीप सी मंडल: बिहार चुनाव.. कांग्रेस की संकीर्णता बनाम मोदी की स्वीकार्यता.. और टिकट कट गया.. आलोचना झेलने की ताकत ही असली नेतृत्व है

अनुपम सिंह ने राहुल गांधी और नेहरू गांधी परिवार के खिलाफ किसी जमाने में चार-पांच ट्वीट किए थे. कांग्रेस का टिकट मिलते ही उनके विरोधियों ने वे ट्वीट उछाल दिए. सिर्फ इस बात पर कांग्रेस ने उनको दिया हुआ बिहार विधानसभा का टिकट वापस लेकर मिन्नत रहमानी को दे दिया.

ये राहुल व सोनिया गांधी की कांग्रेस है. राजा के कान में कोई बोल गया और टिकट कट गया.

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दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी को देखिए.

मैंने तो उनके खिलाफ एक हजार से ज्यादा ट्वीट किए होंगे. क्या ही तो नहीं लिखा होगा. सबके स्क्रीन शॉट मौजूद हैं. यूट्यूब पर मोदी जी के खिलाफ मेरे सैकड़ों वीडियो और सैंकड़ों लेख आज भी हैं.

पर मेरे खिलाफ उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है.

मेरे मोदी-विरोधी ट्वीट तो अभिषेक मनु सिंघवी से लेकर जुबैर और कांग्रेस तथा सपा के तमाम प्रवक्ताओं ने तथा विदेशी हैंडल ने भी वायरल किए. पांच दिन तक मेरा नाम ट्विटर पर नंबर वन पर ट्रैंड कर रहा था, तमाम बड़े अखबारों में खबरें छपीं क्योंकि मेरे खिलाफ विवाद किया जा रहा था. वे लोग नहीं चाहते थे कि मैं राष्ट्र निर्माण और विकसित भारत के प्रोजेक्ट में जुड़ जाऊं.

लेकिन मोदी जी ने लोड नहीं लिया क्योंकि वे जानते थे कि ये बंदा राष्ट्र हित से समझौता नहीं करेगा और जिहादियों और वामपंथियों के ये हमेशा खिलाफ रहा है, तथा विकासवादी तो रहा ही है. वे मेरा स्किल जानते थे.

इसलिए उन्होंने फैसला कर लिया तो कर लिया. वैसे लोग कहते हैं कि मुझे ओबीसी होने का भी लाभ मिला होगा. मुझे नहीं लगता.

बहरहाल, ये वाली डेरिंग होनी चाहिए. ये बात नेता को नेता बनाती है,

बड़ा होना खानदान से नहीं, दिल से होता है. दिल से बड़ा होना चाहिए. किसने कब क्या बोल दिया था, उसका छोटा-छोटा हिसाब रखने वाला कभी बड़ा नहीं हो सकता. बेशक वे बड़े खानदान के हों.

-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।

-चित्र इंटरनेट से साभार।

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