पहलगाम.. दसवीं मौत वो मरा जब उसकी हत्या का जिम्मेदार…!
एक परिवार बतौर टूरिस्ट कश्मीर गया- अच्छी खासी लागत लगा साल भर की थकान, अपने इलाके की गर्मी से बचने कश्मीर गया।
वहाँ आतंकी हमला हुआ- और परिवार का मुखिया अपने परिवार की सुरक्षा के लिए थर थर काँपता हुआ- पहली मौत मरा ।
जब उसे खचेड़ कर बाहर निकाला गया तो बंदूकों को देख ख़ौफ़ से वो दूसरी मौत मरा ।
तीसरी मौत वो तब मरा जब उसे पूछा गया तेरा मजहब क्या है, तेरा धर्म क्या है। इस पल उसे अहसास हुआ- मेरा धर्म ही मेरी मौत का कारण है।
चौथी मौत वो तब मरा जब उसे उसके परिवार के सामने पैंट खोलने को कहा गया। शारीरिक रूप से एक अंग के छेदन ना होने से उसे गोली खानी होगी- ये भी एक मृत्यु से कम नहीं।
पाँचवी मौत वो मरा जब गोलियों ने उसका शरीर छलनी कर डाला- उसके परिवार के समक्ष। पत्नी बच्चों के क्रंदन के बीच प्राण छूटना, आत्मा का शरीर से साथ छूटना: सोच कर देखिए कितनी वेदना भरी होगी।
छठी मौत वो जब मरा जब उसकी आत्मा ने देखा कि उसकी पत्नी उसके हत्यारों से मौत माँग रही है और वो अट्टहास करते कह रहे है- जाओ मोदी को सब बताना।
सातवी मौत वो तब मरा जब उसकी आत्मा ने देखा- ज़माने भर के लोग उसको हत्यारों को डिफेंड करने तमाम कुतर्क गढ़ रहे है।
आठवी मौत वो तब मरा जब उसने पाया लोग उसे ही कोस रहे है कि वो आख़िर कश्मीर घूमने गया ही क्यों?
नौवी मौत वो तब मरा जब उसके लिए मुस्कुराते हुए भेड़ियों ने मोमबत्ती मार्च निकाला।
दसवीं मौत वो मरा जब उसकी हत्या का जिम्मेदार मज़हबी कारण ना बताते हुए केवल आतंकी हमला ठहरा दिया गया।
नरसंहार में मारे गए २७ लोग केवल एक मृत्यु नहीं मरे है- वो दस बार मरें है!
-सोशल मीडिया से साभार।
