दयानंद पांडेय : धर्म पर अंबेडकर साहब के विचार

बकौल मार्क्स धर्म अफीम है लेकिन अंबेडकर ने लिखा है कि धर्म भारत की आत्मा है । बाकी मुझे कुछ नहीं कहना।

एक मित्र ने पूछा , जिन्हों ने आप की कोई किताब नहीं पढ़ी है उन्हें किस किताब से शुरुआत करनी चाहिए । ‘ मैं ने उन्हें बताया , ‘ कोई भी किताब शुरू करेंगे तो शेष सभी पढ़ने के लिए बाध्य हो जाएंगे ! ‘

ग़लत तो नहीं बताया ?


लफ़्फ़ाजों ने सेक्यूलर शब्द को चंदन की तरह घिस-घिस कर इतना चपटा बना दिया है कि अब की चुनाव में यह सेक्यूलर शब्द सिर्फ़ मजाक बन कर रह गया है। इतना कि इस की प्रासंगिकता खतरे में पड़ गई है। बेमानी सा हो गया है यह।

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