सर्वेश तिवारी श्रीमुख : बागेश्वर बाबा.. उसमें अनपढ़ भी हैं, पढ़े लिखे भी, बड़े अफसर हैं, व्यवसाई हैं, नेता ठेकेदार हैं, तो मजूरी कर के पेट पालने वाले भी हैं..
बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मेरे गोपालगंज में आये हैं। छह दिन की कथा है, उनका दिव्य दरबार लगा हुआ है। विशुद्ध श्रद्धा भाव से कथा सुनने आये लोगों की भीड़ है। भूत प्रेत के चक्कर में पड़े लोगों की भी भीड़ है। बाबा को एक बार निहार लेने की इच्छा से आये लोगों की भी भीड़ है, और बिना किसी इच्छा से, केवल भीड़ देख कर भीड़ का हिस्सा बन जाने वालों की भी भीड़ है। इसी बीच में वे भी हैं, जो बालाजी की कृपा प्राप्त कर अपने दुखों से मुक्त होने निकले हैं।
पंडाल के कई कोस दूर से ही धूल उड़ रही है। एक विशाल जनसमूह दौड़ पड़ा है उस सत्ताईस साल के युवक को सुनने, जिसने पिछले दो चार साल में ही दुनिया को अपना भक्त बनाया है। सुनने, देखने, मुग्ध होने…ईश्वर की कृपा!
उसमें अनपढ़ भी हैं, पढ़े लिखे भी। बड़े अफसर हैं, ब्यवसाई हैं, नेता ठेकेदार हैं, तो मजूरी कर के पेट पालने वाले भी हैं। इस पार्टी के समर्थक हैं तो उस पार्टी वाले भी हैं। सभी मिल कर एक हो गए हैं। कथा के बीच में जब शास्त्री जी हर हर महादेव का उद्घोष करते हैं तो उत्तर में सभी मिल कर एक साथ चिल्लाते हैं। सीताराम और महादेव महादेव का गूंजता स्वर सबका साझा स्वर है। भारत का स्वर, भारत माता का स्वर… खण्ड खण्ड में टूटा समाज ‘हर हर महादेव’ के नारे से एक हो रहा है। मैं प्रार्थना करता हूँ, समय समय पर ये नारे लगते रहें ताकि समाज एक रहे…
किसी भी दल के सबसे बड़े नेता गोपालगंज आते हैं तो पार्टी की समस्त शक्ति लग जाने के बाद भी अधिकतम दस-बीस हजार की भीड़ जुटती है। बाबा की कथा में आज की भीड़ लाखों की थी… लोग पेड़ों पर चढ़े हुए हैं, बांस बल्लियों पर लटके हुए हैं, किसी भी तरह बाबा को देख लेने की चाह, उनकी कृपा दृष्टि पा लेने की चाह… यह भावुकता नई तो नहीं। यह भावुकता हजारों वर्ष पुरानी है। हजारों वर्षों में यह देश बदल कर भी नहीं बदला… शायद तभी बचा हुआ है। भारत को भारत से कुछ और बनाने का स्वप्न देखने वाले चाहते हैं कि लोग बदल जाएं, पर लोग हैं कि बदलते नहीं। बदलते भी हैं तो समय समय पर वापस लौट आते हैं। मिट्टी की ओर, धर्म की ओर, राष्ट्र की ओर…
गोपालगंज में हमेशा ही किसी न किसी हिस्से में यज्ञ हो रहा होता है, कथा चल रही होती है। बड़े बड़े प्रसिद्ध कथावाचक भी आते रहते हैं। पर यह क्षेत्र किसी के मोह में नहीं बंधता। लोग कथा सुनते हैं, अपने सामर्थ्य भर उसमें से सीखते हैं, समझते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। जीवन चलता रहता है… किंतु नगर जगाने निकले इस युवक में कुछ विशेष तो है, जो लोग दौड़े जा रहे हैं।
धीरेन्द्र शास्त्री मंच से हनुमान जी महाराज के दरबार में सबकी अर्जी लगने की प्रार्थना कर रहे हैं। सबके कल्याण की प्रार्थना कर रहे हैं, सबके दुख दूर होने की प्रार्थना कर रहे हैं। मैं अपने घर बैठे बैठे ही प्रार्थना करता हूँ कि बालाजी अपने उस यशश्वी भक्त को खूब शक्ति दें, सामर्थ्य दें, आयु दें और भटकने से रोके रखें… हमें, इस महान हिन्दू जाति को इनकी बहुत आवश्यकता है।
बाबा यहाँ दो दिन और हैं। ऐसा नहीं कि मुझे वहाँ जाने की इच्छा नहीं, मैं भी जाना चाहता हूं। पर पंडाल तक पहुँचना बहुत कठिन लग रहा है। बस कोई पास दिला दे… तो मित्रसूची के पत्रकारों! यारों! जमीदारों! पास दिला दो प्यारों!
सर्वेश कुमार तिवारी
गोपालगंज, बिहार।
