अमित सिंघल : हाय-हाय.. मोदी सरकार फलाना है, ढिमकाना है

राष्ट्रवादी बहुधा अधीर एवं भोले होते है।
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कुछ समय से राष्ट्रवादियों ने कुछ बेसिर-पैर के विषयों को लेकर आसमान सर पर उठा रखा है। कुछ उदाहरण ले सकते है।

प्रथम, हाय-हाय, केरल ने विदेश सचिव नियुक्त कर दिया है। मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है। मोदी सरकार फलाना है, ढिमकाना है।
प्रश्न: केरल के “विदेश सचिव” ने आठ महीने में कितने राष्ट्रों की यात्रा की है, किन विदेशी राजनयिकों से मिली है? अगर कुछ जानकारी हो तो अवश्य शेयर करे।

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द्वितीय, हाय-हाय, चुनावी बांड भ्रष्टाचार है। मोदी सरकार फलाना है, ढिमकाना है।
प्रश्न: चुनावी बांड निरस्त होने के बाद कई राज्य चुनावो एवं उपचुनावों में राजनीतिक दलों की फंडिंग कैसे हुई, किसने की? चुनावी फंडिंग की पारदर्शिता का शोर मचाने वालो के पास अगर कुछ जानकारी हो तो अवश्य शेयर करे। अधिक जानकारी के लिए प्रशांत प्रदूषण से संपर्क कर सकते है।

तृतीय: हाय-हाय, संसद से पारित 2025 वक्फ कानून को बंगाल में लागू नहीं होने देंगे। इसको आधार बनाकर मोदी सरकार 356 नहीं लगा रही है। मोदी सरकार फलाना है, ढिमकाना है।
प्रश्न: वक्फ कानून का आधार क्या है? वही 1995 एवं 2013 को कोंग्रेसियों द्वारा किया गया संशोधन। उसी आधार पर बंगाल राज्य वक्फ बोर्ड एवं ट्रिब्यूनल के सदयो की नियुक्ति होती थी – अब नए कानून के अनुसार करनी होगी। अगर 2025 का संशोधन लागू नहीं करेंगे, तो कौन सा 1995 एवं 2013 वक्फ कानून और कैसा वक्फ बोर्ड और कौन सा ट्रिब्यूनल। पीड़ित व्यक्ति या संस्था को हाई कोर्ट में वक्फ के विरूद्ध केस करने से ममता सरकार नहीं रोक सकती है।
अब स्वयं से पूछिए की क्या कोई राज्य सरकार 2025 वक्फ कानून को लागू नहीं होने देगी? कुछ माह बाद मैं पुनः इस प्रश्न को पूछूंगा।

चतुर्थ: हाय-हाय, बंगाल अध्यापको की भर्ती निरस्त करने वाला आदेश नहीं मानेगा। इसको आधार बनाकर मोदी सरकार 356 नहीं लगा रही है। मोदी सरकार फलाना है, ढिमकाना है।
प्रश्न: ऐसे डिस्मिस्सड अध्यापको की बहाली का कानूनी आधार क्या होगा? ऐसे बहाली किसी वरिष्ठ बाबू (बंगाल का शिक्षा सचिव एवं मुख्य सचिव) के हस्ताक्षर से सम्भव है। क्या वह बाबू अदालत की अवमानना के आधार पर जेल जाने को तैयार है? उसे याद है कि सोनिया कोयला घोटाले में कोयला सचिव, 1971 बैच के आईएएस H.C. Gupta, जेल की सजा काट रहे है, ना कि उस समय के कोयला मंत्री मनमोहन सिंह।
कुछ माह बाद मैं पुनः इस प्रश्न को पूछूंगा।

प्रथम कार्यकाल में ऐसी ही हाय-हाय राम मंदिर निर्माण ना होने एवं 370 ना हटाने को लेकर हो रही थी। प्रत्युत्तर में 2017 से 2019 तक के मेरे लेख उसके साक्षी है। अभी भी पढ़ सकते है।

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