सुरेंद्र किशोर : सन 1984 की एक उक्ति जो आज अधिक प्रासंगिक है..ध्यान रहे यह उक्ति किसी ‘संघी’ की नहीं है
सन 1984 की एक उक्ति जो
आज अधिक प्रासंगिक है
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(ध्यान रहे यह उक्ति किसी ‘संघी’ की नहीं है।)
‘‘सिर्फ भारत में ही यह फैशन क्यों है कि राष्ट्रवाद की मुख्य धारा को शक की निगाह से देखा जाये और शक किया
जाये कि उसकी तह में हिन्दू सांप्रदायिकता तो नहीं है !’’
–राजेन्द्र माथुर,
प्रधान संपादक ,नव भारत टाइम्स,
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(माथुर साहब की यह उक्ति साप्ताहिक ‘‘रविवार’’कलकत्ता के 18 नवंबर, 1984 के अंक में प्रकाशित)
