मनीष शर्मा : नालंदा और तक्षशिला के खंडहर को दिखाकर अपनी उतरी पतलून को बांधने की कोशिश..
भारतीय लोग जब भी कही अनपढ़ और गँवार कह कर पश्चिमी देशों में दुत्कारे जाते थे, तो अपनी नाक ऊंची करने के लिए नालंदा और तक्षशिला के खंडहर को दिखाकर अपनी उतरी पतलून को बांधने की कोशिश करते थे.
हमारे पास यह था, हमारे पास वह था.. इतना ज्ञान का खजाना…. लाखों किताबें…हजारों intellectuals, यात्री, भिक्षु ना जाने कहाँ कहाँ से आ कर पढते थे…. सालों साल पैदल चल कर आते थे यहाँ… फिर उनका Entrance Exam हुआ करता था… असंख्य Specializations थे.. जिनके बारे में पश्चिमी सभ्यताओं को पता भी ना था… आज वह सब Patent कराये बैठे हैं…..और भी न जाने क्या क्या बताया करते थे हम लोग.
1199 में तुर्क आतंकी बख्तियार खिलजी भारत की हिन्दू परंपरा और आधुनिक शिक्षा सभ्यता संस्कृति से इतनी चिढ़ गया,कि नालंदा को पूरी तरह से लूटने के बाद इस इस विश्वविद्यालय को जला कर पूरी तरह से नष्ट कर दिया.
बताते हैं इस विश्वविद्यालय में नौ मंजिल की लाइब्रेरी में लाखों किताबें, पाण्डुलिपिया, बहुमूल्य ज्ञान की पोथीयाँ और ना जाने कितनी अनजान जानकारियों से भरे evidences थे…. जो पूरे सात महीने तक आग में धू धू कर जलती रही थी.
World Trade Center जैसी ईमारत भी कुछ ही घंटो में नेस्तनाबूत हो गई थी… सोचिये नालंदा में कितना ज्ञान होगा…. जिसे जलाने मिटाने में लगभग सात महीने लगे.
यह भारतीय सभ्यता और ज्ञान परंपरा पर सबसे बड़ा हमला था.. जिसके बाद हम संभल ही कहाँ पाए थे.
दुःख और क्षोभ की बात है कि उसके पश्चात किसी भी राजा महाराजा या आजादी के बाद किसी भी सरकार ने कभी भी इसके पुनर्स्थापना की ना कोशिश की और ना ही किसी भी सरकार पर दबाव बनाया की इसका जीर्णोद्धार करे।
कहते हैं UPA सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम जी के प्रयासों के बाद नालंदा act बना कर इस विश्वविद्यालय की पुनः स्थापना का काम शुरू किया… लेकिन वह भी एक scam ही बन गया.
इसमें हजारों करोड़ फूंके गए… जिसमें नोबेल विजेता अमरत्य सेन और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की बेटी ने जम कर मलाई काटी….. हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी नालंदा में आने वालों की पढ़ाई लिखाई पास के एक होटल में किराए के कमरों में कराई जाती थी.
यह कोई whatsapp की कहानियाँ नहीं हैं… हर बात को आप जांच परख सकते हैं.. Independent sources से.
आज जब 800 वर्षों के बाद एक भला मानस बिना किसी आग्रह के स्वयं चल के नालंदा की लूटी प्रतिष्ठा और बिखरे खंडहर को समेट कर,भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक को एक आकार दे रहा है,कुछ लोग अब इसमें नई- नई खोट निकाल रहे है।
सारे घोषित और स्वघोषित महा बुद्धिजीवी विद्वानों से आग्रह है कि गर्मी का मौसम है,ठंडा पानी पिए,नींबू पानी पिए और पेट में गुड़गुड़ हो तो अजवाइन की पूरी पोटली निगल ले…..राहत मिलेगी।
अगर कुछ नहीं सकते तो उसमें नुक्स ना निकाले क्योंकि अब वो आकार ले चुका है..हमारा नालंदा फिर से उठ खड़ा होगा…. और एक बात और.. विश्वगुरु तो हम थे, हैं और आगे भी रहेंगे.
और नरेंद्र दामोदर दास मोदी इतिहास में अमर हो चुके हैं… यह इंसान इतिहास बनाने ही आया है.