डॉ. पवन विजय मास्क मैनिफेस्टो पर चर्चा के लिए बिलासपुर 12 जनवरी और 13 जनवरी को रायपुर प्रवास पर

मास्क मैनिफेस्टो पर चर्चा के लिए बिलासपुर 12 जनवरी और रायपुर 13 जनवरी को रहेंगे।
 
 मित्रों, छात्रों और मान्य साहित्यकारों के साथ आमजन की सहभागिता रहेगी।
आप सभी का स्वागत है।
बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस और रायपुर में वृन्दावन भवन, मित्रों के लिए सूचनार्थ।
पवन विजय जी  द्वारा लिखित क़िताब मास्क मैनिफेस्टो के एक अध्याय से …
(मार्क्सवाद आकर्षक क्यों लगता है
 
मंज़र बनाया गया जिसमें सब कुछ अच्छा होने की बात कही गई, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोई विशेष श्रम, ज्ञान, तकनीक की ज़रूरत नहीं थी, बस क्रांति के ज़रिये यह संभव हो सकता था।
 
क्रांति के रोमांटिसिज्म के बारे में मार्क्सवाद चरित्र की कमजोरी और अव्यवस्थित सोच से जुड़ा एक शमन का साधन बन गया था। “हम लड़ेंगे” जैसे उत्तेजक नारे, उसी प्रकार के अन्य किस्म के रोमांटिसिज्म जैसी उदासी के गीत, उसका साहित्य लोगों के मनोरंजन का एक तरीका बन गया।
 
इसके प्रचार तंत्र ने उसे ढाल बनाया। एक बड़े स्तर पर भ्रामक मोक्षोद्देश्यता बनाया गया। जो लोग पहले से संघर्ष में थे, उनके अलावा युवा पीढ़ी जुड़ती गई।
 
मार्क्सवाद होशियार लोगों द्वारा अंध अनुसरणी बनाने का साधन था। विशेषत: बहुत सारी सत्ता में चाह रखने वाले व्यक्तियों के लिए, बामपंथ ने यह प्लेटफार्म उपलब्ध करा दिया। उनकी मानसिकता पूरी होती दिख रही थी।)
 
मार्क्सवाद और क्षद्म क्रांतिकारियों को समझने के लिए इससे अच्छी किताब नहीं हो सकती ।मार्क्स और उनके अनुयायियों ने समाज को सपनों और झूठे वादों से बहकाने का काम किया। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि बिना मेहनत, ज्ञान, या तकनीकी कौशल के, केवल क्रांति से सब कुछ सुधारा जा सकता है। उनकी विचारधारा ने कमजोर और अस्थिर सोच वाले लोगों को “हम लड़ेंगे” जैसे नारों और भावनात्मक साहित्य के जरिये अपने जाल में फंसाया।
 
उन्होंने एक ऐसा भ्रम फैलाया, जिसमें लोगों को लगा कि यही संघर्ष का सही रास्ता है। यह विचारधारा न केवल पहले से परेशान लोगों को फंसाती थी, बल्कि युवा पीढ़ी को भी गुमराह करती थी। असल में, यह सत्ता के भूखे लोगों का एक षड्यंत्र था, जो समाज को खोखला कर अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी कर रहे थे। वामपंथ ने इसे अपने स्वार्थों को साधने का मंच बना दिया, जहां लोगों की भावनाओं और उम्मीदों का शोषण किया गया।आप इस विषय पर गहराई से जानना चाहतें हैं तो “मास्क मैनिफ़ेस्टो” को जरूर पढ़े और इंस्टीट्यूशंसनल तरीके से कैसे समाज के एक बड़े तबके को सोचने समझने में पंगु बना दिया गया जाने..
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