पवन विजय : ट्रम्प की जीत पर वामपंथी नैतिकता के मायने..!

वामपंथी ट्रंप की विजय को नस्लवाद साबित करने पर तुले हैं, अमेरिकी जनता को विवेकहीन साबित करने पर तुले हैं।

नस्लवाद और उपहास वामपंथियों का मुख्य शस्त्र है जो सामने वाले को गिल्ट में डालता है।

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नस्लवाद का सीधा अर्थ है कि यदि आप गोरे हैं तो बिना कारण अपराधी हैं, इस अपराध से मुक्ति का एक ही रास्ता है और वह है कि नैतिकता के आधार पर किसी अश्वेत का दासत्व स्वीकार कर लो। अमेरिकी समाज ने कमला हैरिस को न स्वीकार करके नस्लवादी मानसिकता का परिचय दिया है। लेकिन यही नस्लवादी व्याख्या ऋषि सुनक के मामले में दोगली हो जाती है और नस्लवाद के मुखौटे के पीछे वामियों का घृणा से बजबजाता चेहरा दिखने लगता है।

दूसरे अमेरिकी लोगों को विवेकहीन बताकर उपहास करना भी वामियों की मार्के की चाल रही है। उपहास करने से व्यक्ति संकुचित हो जाता है और अपने कदम पीछे खींचता है, गतिविधि कम करता है, सामने आने से छिपता है।

ट्रंप सत्ता में वापस लौट आए हैं लेकिन संरचना में वामपंथियों का नेटवर्क अभी भी काम कर रहा है।

वामपंथी आपको नैतिक होने को प्रेरित करते हैं, आपको अच्छा, लोकतांत्रिक, सीधा बने रहने को प्रेरित करते हैं ताकि उनका कार्य सुगमता से चलता रहे। जैसे ही आप टेढ़े होते वह आपको लानत भेजते, पूर्व स्थिति में लाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए वामपंथी नरेंद्र मोदी को अटल बिहारी बाजपेई को अजातशत्रु कहकर उनके जैसे व्यवहार न करने के लिए कोसते हैं। बाजपेई जी को महान बताना उनकी रणनीति का हिस्सा है।

वामपंथियों के मुखौटे आप भी नोचिए, उनके प्रति घोर अनैतिकता ही आपका स्वयं के प्रति, स्वयं की संस्कृति, धर्म,राष्ट्र के प्रति नैतिक होना है।

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