दिलीप मंडल : बॉलीवुड और इतिहास लेखकों के खिलाफ चार्जशीट

हम सब राष्ट्र-बोध तथा राष्ट्र-गौरव के क्षय ज़िम्मेदार है। और सबसे बड़ा अपराधी हैं बॉलीवुड, एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और एजेंडाबाज इतिहास लेखक।

Veerchhattisgarh

भारत की राजधानी दिल्ली में मुग़लों का भव्य और विशाल म्यूज़ियम है। पर सम्राट अशोक और मौर्य वंश, गुप्त वंश, चोल-पल्लव-पांडियन वंश, गुर्जर प्रतिहार वंश, सातवाहन वंश, पाल वंश, मराठों का कोई म्यूज़ियम नहीं है।

भारत के इतिहास में सबसे विशाल साम्राज्य चलाने वाले सम्राट अशोक महान की तो देश में कोई भव्य प्रतिमा तक नहीं है। मेरी जानकारी में तो नहीं है।

ये दुनिया के किस और राष्ट्र में संभव है कि अपनी सबसे महान संतान को भुला दे या हाशिए पर डाल दे?

आपसे-हमसे हमारा राष्ट्र गौरव एक षड्यंत्र के तहत छीन लिया गया। बॉलीवुड का ये बहुत बड़ा अपराध और पाप है।

यही अपराध इतिहास लेखकों ने भी किया।

रोम, चीन और भारत विश्व की तीन सबसे शानदार प्राचीन और निरंतर सभ्यताएँ हैं। प्राचीन दुनिया को सबसे ज़्यादा इन तीनों ने दिया है।

जब बाक़ी दुनिया गुफाओं और तंबुओं में थी, तब यहाँ एक विकसित दुनिया थी, नालंदा था, एलोरा था, महाबलिपुरम और हज़ारों मंदिर थे।

भारतीय बौद्ध धम्म, हिंदू धर्म और प्रतीकों का विस्तार साइबेरिया, चीन, जापान, श्रीलंका, इजिप्ट से लेकर विएतनाम और इंडोनेशिया तक में मिला है। पिछले साल इजिप्ट यानी मिस्र के तट पर बौद्ध प्रतिमा मिली है जो दो हज़ार साल पुरानी है।

भारत की निरंतरता बाहरी हमलों से टूटी।

ख़िलाफ़त आंदोलन के समय से अपने राष्ट्र और संस्कृति को नीचा दिखाने का चलन भारत में शुरू हुआ। आज़ादी के बाद वोट बैंक के लिए यही चलता रहा।

भाईचारे के नाम पर भारत राष्ट्र और संस्कृति को ही “चारा” बना दिया गया, ताकि भाई ख़ुश रहे।

भारतीय राष्ट्र को गौरव की जगह “अपराध-बोध” से भर दिया गया। अपने राष्ट्र पर शर्मिंदा होना सिखाया गया ताकि औरों को अच्छा लगे!

कोई भी राष्ट्र या सभ्यता अतीत के गौरव के बिना दुर्बल हो जाती है।

भारत के पास सम्राट अशोक जैसे महान साम्राज्य निर्माता रहे। लेकिन उन पर भी फ़िल्म बनती है तो नकारात्मक ही दिखाया जाता है।

भारत को महान बनना नहीं है। अपनी पुरानी महानता को फिर से हासिल करना है। अपराध भाव से मुक्त होना है।

21वीं सदी भारत की सदी है। आर्थिक विकास के साथ सांस्कृतिक गौरव की वापसी भी राष्ट्र का कार्यभार है।

-श्री दिलीप मंडल के पोस्ट से साभार।

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