PM मोदी.. उम्र के साथ रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी ! कम्फर्ट जोन के लिए अनफिट.. क्योंकि हम में कोई दोगलापन नहीं है।” 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी तक सैकड़ों इंटरव्यू दिए हैं, ऐसा प्रथम बार हुआ है जब उन्होंने किसी पॉडकास्ट में हिस्सा लिया है। शुक्रवार 10 जनवरी को उनके पॉटकास्ट का वीडियो यूट्यूब पर जारी किया गया। जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत ने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी के साथ तमाम विषयों पर बात की है। लेकिन सोशल मीडिया पर जो वीडियो सबसे ज्यादा वायरल हो रहा है वो राजनीति से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री ने साथ कहा है कि राजनीति युवाओं के लिए एंबिशन नहीं, मिशन होना चाहिए। जेरोधा के को-फाउंडर के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि पॉलिटिक्स का मतलब चुनाव नहीं है। पॉलिटिक्स का मतलब हार-जीत नहीं है। पॉलिटिक्स का मतलब सत्ता नहीं है। वो उसका एक पहलू है। आप पॉलिसी मेकिंग में होते हैं तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। नीतियों को एग्जीक्यूट करके आप स्थितियां बदले बदल सकते हैं। राजनीति में अगर आप अच्छे निर्णय और सही समय पर निर्णय करते हैं तो बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

पॉडकास्ट में जब निखिल कामथ ने पीएम मोदी से जानना चाहा कि क्या उम्र के साथ आपकी रिस्क लेने की क्षमता बढ़ रही है ? इस पर पीएम मोदी ने कहा- मुझे लगता है कि मेरी रिस्क लेने की क्षमता का अभी पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ है। बहुत कम हुआ है. मेरी रिस्क लेने की क्षमता इससे अनेक गुना ज्यादा है। इसका कारण है कि मुझे परवाह ही नहीं है. क्योंकि मैंने अपने विषय में कभी सोचा ही नहीं. पीएम मोदी ने कहा, मैं कम्फर्ट जोन में कभी नहीं रहा। हमेशा कम्फर्ट जोन के बाहर ही रहा और जब कम्फर्ट जोन से बाहर रहा तो मुझे पता था कि मुझे क्या करना है, कैसे करना है…? मुझे लगता है कि कम्फर्ट जोन में जाने के लिए मैं अनफिट हूं।

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इस बातचीत में, वैश्विक संघर्षों पर भारत की स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: “दुनिया हम पर भरोसा करती है, क्योंकि हम में कोई दोगलापन नहीं है।” 

राजनीति: मिशन, महत्वाकांक्षा नहीं

पॉडकास्ट का एक सबसे विशेष क्षण तब आया जब कामथ ने राजनीति को “गंदा खेल” बताया। पीएम मोदी ने विचारोत्तेजक दृष्टिकोण से इसे नकारते हुए प्रतिउत्तर में कहा – “अगर आप वाकई ऐसा मानते हैं, तो हम यह बातचीत नहीं कर रहे होते।”
उन्होंने राजनीति में प्रवेश के लिए आवश्यक गुणों के बारे में विस्तार से बताया, सभी परिस्थितियों में लोगों के प्रति समर्पण, प्रतिबद्धता और अटूट समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा, “अगर कोई राजनीति में आना चाहता है, तो उसे महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि मिशन लेकर आना चाहिए।”

गोधरा कांड यह मेरा 2005 का बयान था और…

उन्होंने कहा, “जब अमेरिकी सरकार ने मुझे वीजा देने से इनकार कर दिया था, तब मैं विधायक था। एक व्यक्ति के तौर पर, अमेरिका जाना कोई बड़ी बात नहीं थी, मैं पहले भी वहां गया था; लेकिन मुझे लगा कि एक चुनी हुई सरकार और देश का अपमान हो रहा है, और मेरे मन में दुविधा थी कि आखिर हो क्या रहा है।”
 प्रधानमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वीज़ा अस्वीकृति को सार्वजनिक करने की बात को याद किया। “उस दिन, मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहाँ मैंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने मेरा वीज़ा अस्वीकार कर दिया है। मैंने यह भी कहा कि मैं एक ऐसा भारत देखता हूँ, जहाँ दुनिया वीज़ा के लिए कतार में खड़ी होगी, यह मेरा 2005 का बयान था और आज हम 2025 में खड़े हैं। इसलिए, मैं देख सकता हूँ कि अब समय भारत का है,” पीएम मोदी ने कहा।

गोधरा कांड

2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड की दुखद घटना पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक नवनिर्वाचित विधायक के रूप में अपने सामने आई चुनौतियों को याद किया। उन्होंने कहा, “जब यह घटना हुई, तब मैं तीन दिन का विधायक था।” भावनात्मक आघात के बावजूद, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी की गंभीरता को पूरी तरह समझते हुए संयम बनाए रखा। उन्होंने कहा, “मैंने खुद को नियंत्रित करने के लिए जो कुछ भी कर सकता था, किया।”

गलतियों, मानवता और जवाबदेही पर

गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नेतृत्व के प्रति अपना दृष्टिकोण साझा किया: “मैं इंसान हूँ, भगवान नहीं। मैं गलतियाँ कर सकता हूँ, लेकिन वे जानबूझकर नहीं होंगी।”
उन्होंने नेतृत्व के लिए अपना व्यक्तिगत मंत्र भी बताया – अथक परिश्रम करें, स्वार्थी कार्यों से बचें और अपनी मानवता को स्वीकार करें।
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