आज गीता जयंती : कुरुक्षेत्र में दो सेनाओं के भारी तनाव के मध्य कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया दुनिया का श्रेष्ठतम ज्ञान
गीता जयंती आज..
कुरुक्षेत्र में दो सेनाओं के बीच खड़े होकर भारी तनाव के समय कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वो दुनिया का श्रेष्ठतम ज्ञान है।
गीता का जन्म युद्ध के मैदान में दो सेनाओं के बीच हुआ।
जीवन की श्रेष्ठतम बातें भारी तनाव और दबाव में ही होती हैं।
अगर आप दिमाग को शांत और मन को स्थिर रखने की कोशिश करें तो सबसे बुरी परिस्थितियों में भी आप अपने लिए कुछ बहुत बेहतरीन निकाल पाएंगे।
ये श्रीकृष्ण सिखाते हैं।
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गीता जयंती के सुअवसर पर आज अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ के सदस्यों ने शहर के विभिन्न स्थानों पर बेहतरीन पेपर में प्रिंट “गीता” को लोगो तक पहुँचाया ।
आपसे कभी ऐसे लोग मिले तो गीता लेकर जरूर पढ़िए और अगर है घर में तो लेकर किसी को भेंट कीजिए।
इस्कॉन या अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (International Society for Krishna Consciousness – ISKCON), को दुनिया “हरे कृष्ण आंदोलन” के नाम से भी जानती है।
संस्था के संस्थापक श्रीसील प्रभुपाद अपने गुरु के आदेश पर बहुत अल्प संस्थानों के साथ एक मालवाहक जलयान के द्वारा पहली बार 1965 में न्यूयार्क गए थे और वहां 1966 में ISKCON की स्थापना की थी। इसके बाद लगातार बारह साल तक स्वामी प्रभुपाद अनवरत दुनिया भर में घूमते रहे और छः महाद्वीपों में हिंदुत्व और श्रीकृष्ण के पावन सन्देश को फैलाया जिसके नतीजे में आज हरेकृष्ण आन्दोलन का विस्तार सारी दुनिया में है और देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है।
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श्रीसील प्रभुपाद की हिन्दू धर्म, भगवद गीता, भागवत आदि पर की रचनाएं सारी दुनिया में श्रीकृष्ण के पावन सन्देश को फैला रही है. इस्कॉन ने अपने विचारों के माध्यम से दुनिया भर के लाखों लोगों को हिन्दू विचारों से जोड़ा है. आज भारत से बाहर के लाखों महिलाओं को साड़ी पहने चंदन की बिंदी लगाए व पुरुषों को धोती कुर्ता और गले में तुलसी की माला पहने देखा जा सकता है। लाखों ने मांसाहार तो क्या चाय, कॉफी, प्याज, लहसुन जैसे तामसी पदार्थों का सेवन छोड़कर शाकाहार शुरू कर दिया है। वे लगातार ‘हरे राम-हरे कृष्ण’ का कीर्तन भी करते रहते हैं। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मन्दिर एवम् विद्यालय बनवाये हैं। इस्कॉन के अनुयायी विश्व में गीता, सनातन धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं।
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