मेघवाल-.. “बाबासाहब को संसद पहुँचने से रोकने वाली कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया, इसलिए दलित समाज अखिलेश यादव को कभी भी साथ नहीं देगा।”

केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दलित वोट बैक की खातिर अपनी तस्वीर को बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर के साथ जोड़ कर बाबा साहब का अपमान किया है। भाजपा अखिलेश यादव के इस कुकृत्य की कड़ी निंदा करती है। अखिलेश यादव ने पिछड़ा (ओबीसी) आरक्षण के घोर विरोधी और बाबासाहब को संसद पहुँचने से रोकने वाली कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया, इसलिए दलित समाज अखिलेश यादव को कभी भी साथ नहीं देगा।

श्री मेघवाल ने अखिलेश यादव और बाबा साहब अंबेडकर का पोस्टर मीडिया को दिखाते हुए कहा कि इस पोस्टर में बाबा साहब डॉभीमराव अंबेडकर का आधा चेहरा है और अखिलेश यादव जी का आधा चेहरा दिखाया गया है। अखिलेश यादव इस प्रकार के चित्र दिखाकर दलित समाज के वोट बटोरना चाहते हैं। अखिलेश यादव पूर्णतः भ्रम में हैं, ऐसा करना बाबा साहब का अपमान है। 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाबा साहब को हराने का काम किया था। 1953 में लोकसभा के उपचुनाव में भी बाबा साहब को हराने के पीछे कांग्रेस का ही हाथ था। आज अखिलेश यादव उसी कांग्रेस के साथ खड़े हैं जिन्होंने बाबा साहब को लोकसभा में पहुँचने से रोका था, तो दलित समाज उनके साथ कैसे खड़ा होगा?

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण का विषय आया, तो अखिलेश यादव और उनके परिवार के लोग इसके समर्थक रहे, लेकिन ओबीसी आरक्षण का सबसे अधिक विरोध कांग्रेस नेता राजीव गांधी ने किया था। लोकसभा के पटल पर उन्होंने अपना सबसे लंबा भाषण दिया था और उस पूरे भाषण में उन्होंने ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा विरोध किया था। आज अखिलेश यादव उसी कांग्रेस की गोद में बैठकर यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि बाबा साहब और वे एक जैसे हैं। यह न केवल बाबा साहब का अपमान हैबल्कि उनकी विचारधारा और नीतियों का भी अपमान है।अखिलेश यादव को अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की घटनाएं याद करनी चाहिए। उस दौरान अनुसूचित जाति वर्ग के बहुत से इंजीनियरों को डिमोट कर दिया गया था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यूपीए-2 सरकार के समय प्रमोशन में आरक्षण का विषय लोकसभा में आया था और जब इस पर एक विधेयक लाया जा रहा था, तब उत्तर प्रदेश के नगीना से समाजवादी पार्टी सांसद ने उस विधेयक की प्रतियों को फाड़ा था। अब ये लोग बाबा साहब के विचारों की बात कर रहे हैं, जो सीधे तौर पर बाबासाहब का अपमान है। अखिलेश यादव एक परिवारवादी पार्टी के मुखिया हैंजबकि बाबा साहब परिवारवाद के विरोधी थे। उनके और बाबा साहब के विचारों में कोई मेल नहीं है। अब दलित समाज को भ्रमित करने के लिए उन्होंने एक बैठक की और उसमें यह पोस्टर दिखाया, जिसमें कई पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।

श्री मेघवाल ने कहा कि इस तरह के पोस्टर-बैनर से बाबा साहब का अपमान करके अखिलेश यादव दलित समाज के वोट नहीं बटोर सकते। कांग्रेस के साथ मिलकर सपा ने 2024 में भी भ्रम फैलाया था कि संविधान खतरे में हैआरक्षण खतरे में है। यह भ्रम हरियाणा में टूटामहाराष्ट्र में टूटा और दिल्ली में भी टूटा। इसलिए आज भारतीय जनता पार्टी इस पोस्टर की घोर निंदा करती हैं।

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