“कांग्रेस की राजनीति हमेशा परिवार और सत्ता केंद्रित रही है।”…-प्रधान
केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री धर्मेंद्र प्रधान की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
देश की जनता ने भाजपा की सच्ची नीयत और कांग्रेस के खोखले नारों में फर्क साफ देख लिया। मोदी जी के नेतृत्व में लिया गया जातिगत जनगणना का निर्णय सामाजिक न्याय के प्रति एनडीए की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
********************
किसी किताब का कवर पृष्ठ बदल देने से उसका कंटेंट नहीं बदलता। वैसे ही, कांग्रेस का चरित्र अवसरवादी और वोटबैंक की राजनीति करने वाला रहा है।
********************
आज कांग्रेस की तथाकथित “फर्स्ट फैमिली” घमंड और पाखंड में डूबी है। कांग्रेस पार्टी के बयानों से पता चलता है कि उनके लिए सामाजिक न्याय महज राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए है।
********************
कांग्रेस की राजनीति हमेशा परिवार और सत्ता केंद्रित रही है। पिछड़ों के अधिकारों की बात होते ही उन्हें तकलीफ होती है, क्योंकि वे सामाजिक न्याय के प्रति कभी गंभीर नहीं रहे।
********************
कांग्रेस ने काका कालेलकर कमेटी की पिछड़ों से संबंधित रिपोर्ट को वर्षों दबाए रखा। 1977 में जनता पार्टी सरकार ने मंडल कमीशन का गठन किया।
********************
जातिगत जनगणना का फैसला एकाएक नहीं लिया गया, बल्कि पिछले 11 वर्षों से माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति का यह तार्किक और सैद्धांतिक विस्तार है।
********************
भाजपा के सभी कार्यक्रमों का मूल लक्ष्य सामाजिक न्याय ही रहा है। समाज के सभी वर्गों तक लाभ, सुविधा और सहूलियत वैज्ञानिक तरीके से पहुंचे, ये हमारा लक्ष्य रहा है।
********************
केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए जातिगत जनगणना का निर्णय लेने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया । उन्होंने इस निर्णय को देश की प्रगति, वंचितों के अधिकार और सामाजिक न्याय की दिशा में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया। श्री प्रधान ने खोखले नारेबाजी और अहंकारी बयान देने के लिए कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए राहुल गांधी को सामाजिक न्याय का विरोधी बताया।
श्री प्रधान ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ सत्ता के लिए सामाजिक न्याय का स्वांग रचती है।
केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि कल एक बार फिर देश की जनता ने सच्ची नीयत और खोखले नारों के बीच के फर्क को स्पष्ट रूप से देख लिया। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जातिगत जनगणना का निर्णय एनडीए सरकार की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है, बल्कि पिछले 11 वर्षों से माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति का यह तार्किक और सैद्धांतिक विस्तार है। मोदी सरकार का मूल मंत्र रहा है – “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।” हमारी सभी योजनाओं और कार्यक्रमों का लक्ष्य सामाजिक न्याय रहा है, ताकि समाज के सभी वर्गों को वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से लाभ पहुंच सके।
श्री प्रधान ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहली बार देश में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया। बड़ी संख्या में वंचित वर्गों को सरकार में प्रतिनिधित्व मिला, चाहे वह केंद्र सरकार हो, भाजपा शासित राज्य सरकारें हों या फिर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या विधायक। यह सब सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जिसकी अगुवाई स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी कर रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक की जनगणनाओं में जातिगत आंकड़े नहीं जुटाए गए थे। वर्ष 2021 में जनगणना प्रस्तावित थी, जो कोविड महामारी के कारण स्थगित हो गई। अब सरकार ने सिद्धांत रूप में यह निर्णय लिया है कि आगामी जनगणना में जातियों की गणना भी की जाएगी। कल बुधवार को राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में जातिगत जनगणना का निर्णय लिया गया, जिसकी जानकारी लगभग एक वर्ष पूर्व देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भी दी गई थी। यह फैसला वंचित वर्गों को उनका हक और अधिकार सुनिश्चित कराने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए अनुभवों और आंकड़ों के आधार पर अब योजनाएं और भी सटीक, समावेशी और न्यायोचित बनाई जाएंगी। इस निर्णय का पूरे देश में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर स्वागत किया गया है। समाज के सभी वर्गों ने इस निर्णय को सराहा है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सामाजिक न्याय और सुशासन की दिशा में आगे बढ़ते भारत की मजबूत नींव का प्रतीक है।
केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार प्रकट करते हुए कहा, उन्होंने जो ऐतिहासिक निर्णय लिया है, वह सामाजिक न्याय की दिशा में एक मील का पत्थर है। जब यह निर्णय लिया गया, तो कुछ लोगों की बौखलाहट स्पष्ट रूप से दिखाई दी। लेकिन जब यह चर्चा शुरू हो ही गई है, तो देश को पूरी सच्चाई जान लेनी चाहिए। 1931 में भारत में आखिरी बार जातिगत जनगणना हुई थी। 1941 में देश स्वतंत्र नहीं हुआ था, इसलिए उस समय की ब्रिटिश हुकूमत ने इसे नहीं कराया। लेकिन जब 1951 में स्वतंत्र भारत में पहली जनगणना होनी थी, तब सरकार और सिस्टम किसके हाथ में था? स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू उस समय देश के पहले प्रधानमंत्री थे और यह सर्वविदित है कि अगर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी न होते, तो सामाजिक संवेदना और समावेशिता संविधान का हिस्सा नहीं बनती। लेकिन दुर्भाग्यवश, पंडित नेहरू जातिगत आरक्षण के कट्टर विरोधी थे। उनका विरोध केवल मौखिक नहीं था, उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर यह कहा कि जाति आधारित आरक्षण से “गुणवत्ता” में कमी आएगी। यह सोच स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सामाजिक न्याय के प्रति तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मानसिकता क्या थी।
श्री प्रधान ने याद दिलाया कि कांग्रेस ने काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट को जानबूझकर लंबे समय तक दबा कर रखा। यह रिपोर्ट सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति पर आधारित थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे सार्वजनिक नहीं किया। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें तत्कालीन जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बना) भी सहभागी था, तब मंडल कमीशन का गठन हुआ। तब भी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी और श्री लालकृष्ण आडवाणी जी सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़े थे। लेकिन जब मंडल कमीशन की रिपोर्ट सौंप दी गई, तो कांग्रेस सरकार ने उसे लगभग 10 वर्षों तक दबाए रखा। आखिर यह पूछना जरूरी है कि उस समय सरकार और सिस्टम किसके हाथ में था? जब वी.पी. सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी और मंडल कमीशन को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय हुआ, तब भारतीय जनता पार्टी ने उस सरकार का समर्थन किया था। यह इतिहास है कि हमारी ही सलाह पर वह निर्णय लिया गया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री प्रधान ने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी के नेता, विशेष रूप से उस तथाकथित “फर्स्ट फैमिली” के सदस्य, जिन्हें बार बार हार के बावजूद जनता से कोई सीख नहीं मिलती है, घमंड और पाखंड की भाषा बोलते हैं। उनके बयानों से पता चलता है कि सामाजिक न्याय के प्रति उनका दृष्टिकोण केवल दिखावा है, जो अक्सर उनके परिवार के राजनीतिक स्वार्थों तक सीमित रहता है। श्री प्रधान ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एक सामान्य, वंचित, पिछड़े परिवार से आते हैं। उन्होंने न केवल सामाजिक न्याय की बात की, बल्कि उसे नीति और क्रियान्वयन के स्तर पर साकार भी किया। कांग्रेस पार्टी, जिसने दशकों तक सत्ता चलाई, आज उसी सामाजिक न्याय के मुद्दे पर राजनीति कर रही है, जिसे उन्होंने स्वयं कभी रोका था। एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में दिखाई देती है। काल जो निर्णय लिया गया है, वह केवल एक नीतिगत निर्णय नहीं, बल्कि भारत के वंचित वर्गों को उनका अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक और निर्णायक कदम है।
श्री प्रधान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास सदैव देश के वंचित, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के विरुद्ध रहा है। जब लंबे समय तक देश और राज्यों में कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने सामाजिक न्याय की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। आज जब जनगणना और सामाजिक सर्वेक्षण की बात हो रही है, तो वे भ्रम फैला रहे हैं। 2010 में कांग्रेस सरकार ने एक मंत्री समूह गठित कर जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की थी, पर 2011 में वह खुद ही उस निर्णय से पीछे हट गई। उनके बनाए हुए सर्वेक्षणों में जातीय विवरण स्पष्ट नहीं थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के पास न तो इच्छाशक्ति थी, न ही सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता। यह वही कांग्रेस है, जिसने वर्षों तक शासन करने के बाद भी बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया। 1990 में जब वी.पी. सिंह के नेतृत्व में भाजपा समर्थित सरकार बनी, तभी बाबा साहेब को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। कांग्रेस की राजनीति केवल अपने परिवार और सत्ता के इर्द–गिर्द घूमती रही है। जब भी देश में पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों को आगे बढ़ाने का प्रयास हुआ, तब कांग्रेस को तकलीफ हुई वे कभी भी सामाजिक न्याय के प्रति गंभीर नहीं रहे। जब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार पिछड़ों, वंचितों और आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक निर्णय ले रही है, तो कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी पाखंड और घमंड से भरे बयान दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि किसी किताब का कवर पृष्ठ बदल देने से उसका कंटेंट नहीं बदलता। कांग्रेस का चरित्र अवसरवादी और वोटबैंक की राजनीति करने वाला रहा है। 2011 में उन्होंने जातिगत जनगणना का वादा किया, लेकिन निभाया नहीं। सामाजिक न्याय, समरसता और सौहार्द्र को बढ़ाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लिए गए निर्णय, देश को 21वीं सदी के नए युग में ले जाएगा। इसका दूरगामी और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस अपनी निराशा और कुंठा से बाहर आए, देश की जनता सब जानती है। आज देश की प्रगति, वंचितों के अधिकार और सामाजिक न्याय की दिशा में मोदी सरकार पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है।
