सुरेंद्र किशोर : जरा उधर भी नजर फेरे सुप्रीम कोर्ट ! 35 साल बाद भी यासिन मलिक फांसी से दूर..

35 साल बाद भी यासिन मलिक फांसी से दूर
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जरा उधर भी नजर फेरे सुप्रीम कोर्ट !
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सुप्रीम कोर्ट से लोग नाउम्मीद होंगे तो
उस निराशा का फायदा उठा कर कोई
तानाशाह देश का शासक बन बैठेगा !
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2015 में सजायाफ्ता याकूब मेमन के मामले की सुनवाई
करने के लिए सुप्रीम कोर्ट आधी रात में खुल गया था।पर
यासिन मलिक पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान नहीं जा रहा है।
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35 साल पहले आतंकवादी यासिन मलिक ने भारतीय वायु सेना के 5 अधिकारियों को कश्मीर मेें गोलियों से भून दिया था।‘इंडिया टूडे’ से बातचीत में मलिक ने बाद में स्वीकार भी किया था,
‘‘हां,मैंने मारा था।
क्योंकि वे निर्दोष नहीं थे।’’
इसके बावजूद आज तक यासिन मलिक को कोई सजा
नहीं हुई।
‘सर्व शक्तिमान’ सुप्रीम कोर्ट की मौजूदगी के बावजूद !


इतना ही नहीं, यासिन ने सन 2006 में उनके बुलावे पर तत्कालीन प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह से उनके आवास पर मुलाकात भी की थी।
कल्पना कीजिए कि उस मुलाकात की खबर पढ़कर व हंस -हंस कर हाथ मिलाते दोनों के फोटो मीडिया में देखकर वायु सेना के दिवंगत अफसरों की विधवाओं पर क्या बीती होगी !
दूसरी ओर, कल्पना कीजिए ,उस फोटो से कश्मीर के आतंकियों का हौसला कितना बढ़ गया होगा !
उन्हें यह भी लग गया होगा कि निर्दोष सैनिकों का कत्ल करने के बावजूद इस देश का प्रधान मंत्री अपने आवास में हमारा स्वागत भी कर सकता है।
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याद रहे कि यासिन मलिक ने कश्मीर में 25 जनवरी, 1990 को एक साथ 5 एयर फोर्स अधिकारियों की हत्या कर दी थी।
अधिकारी ने उससे तब सिर्फ रास्ता पूछा था-तब कोई मुंठभेड़ नहीं हो रही थी।
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अभियोजन पक्ष के पास मलिक के खिलाफ पुख्ता सबूत उपलब्ध हैं।
इसके बावजूद यासिन मलिक अब तक सजा से मुक्त है।
इस देश में कानून-व्यवस्था और न्याय -व्यवस्था के अत्यंत लचर होने के कारण ही जेहादी तत्वों का मनोबल भारत में दिन प्रति दिन बढता जा रहा है।साथ ही ,मुस्लिम वोट लोलुप नेताओं ने उनका मनोबल अपने कर्मों व बयानों के जरिए और भी बढ़ा रखा है।
इस देश के विभिन्न हिस्सों में जेहादी लोग तरह तरह के उपायों से मुस्लिमों की आबादी बढ़ाते जा रहे हैं। खास-खास इलाके में बहुमत में आ जाने पर एक -एक इलाके से गैर मुस्लिमों को जेहादी भगाते जा रहे हैं।यह रफ्तार जारी रही तो वह दिन DOOR नहीं, जब जेहादी तत्व पूरे भारत पर कब्जा कर लेंगे।क्योंकि वोट लोलुप राजनीतिक दल उनके प्रत्यक्ष-परोक्ष मददगार बने हुए है।
ऐसे ही विशेष अवसरों के लिए संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद -142 का प्रावधान किया है।यानी, सुप्रीम कोर्ट के हाथों में इसके जरिए तगड़ा ब्रह्मास्त्र पकड़ा दिया।
भारत में एक विशेष स्थिति पैदा हो चुकी है।संविधान निर्माताओं ने इस स्थिति की पूर्व कल्पना ही नहीं की थी।
इस देश के कुछ राजनीतिक दल वोट के लिए अपने कारनामों से देश का इलाका दर इलाका जेहादियों को सांैपते जा रहे हैं।मुर्शिदाबाद से हिन्दू पलायन की ताजा घटनाएं उसका उदाहरण है।
सुप्रीम कोर्ट से लोगों को बड़ी उम्मीद रही हेैं।
इसलिए वह इस बात का ध्यान रखे कि मानवाधिकार सिर्फ जेहादियों का ही नहीं होता,बल्कि शांतिप्रिय करोड़ों भारत वासियों का भी होता है।यदि इस देश का सामान्य कानून इस देश के इस्लामिक देश में परिणत होने से रोकने में सहायक नहीं हो पा रहा है तो सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह संविधान के अनुच्छेद -142 का यथाशीघ्र इस्तेमाल करना शुरू कर दे।
सुप्रीम कोर्ट के लिए आज कठिन परीक्षा की घड़ी है।वह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की आशंका को झूठा साबित करने का तत्काल ठोस प्रयास करे।

Veerchhattisgarh

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