पंकज कुमार झा : विष्णुदेव सरकार.. उपद्रवियों को 50 लाख.. अहित करने वाला हो, उसे साहित्य कह दिया जाता…

यह समाचार 2020 का है। आज के दिन का ही। मेमोरी ने स्मरण कराया है। तब सवा साल पहले किसानों के नाम पर ही तब की सरकार छत्तीसगढ़ की सत्ता में आयी थी। किंतु बदलाव का नारे देकर उन्होंने ‘बदला लेने’ को अपनी प्राथमिकता बना लिया था।

और आज देखिए…

Veerchhattisgarh

छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय जी की भाजपा सरकार ने ऐतिहासिक कीमत पर ऐतिहासिक धान खरीदी कर ली। लगभग 15 करोड़ क्विंटल धान खरीदा, लेकिन कहीं कोई पत्ता तक नहीं खड़का।

अत्यधिक विनम्रता के साथ – तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा, जैसी भावना का परिचय देते हुए लगभग एमएसपी से डेढ़ गुणा अधिक कीमत पर खरीदी हो गई, कोई डींगें हांकने की जरूरत नहीं हुई।

जबकि पिछली सरकार में रकबा कटौती से लेकर कर्ज आदि के कारण आत्महत्या तक करने को विवश हुए थे किसान।

यहां किसानों पर बर्बरता करने वालों के हाल पर प्रदेश को छोड़ कर ‘साहब’ लखीमपुर उड़ गये थे। वहां के उपद्रवियों को पचास लाख बांटने।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले से तिरंगा नोंच देने वालों के साथ समय बर्बाद करने में मशगूल रहे तब के लोग आज भी ‘सिंधु बॉर्डर’ के इर्द-गिर्द ही व्यस्त हैं। और इधर…

इधर छत्तीसगढ़ इतिहास रच रहा है। विष्णुदेव सरकार बोनस जैसे उन वादों को भी पूरा कर रही है जिसे घोषणा पत्र में लिखने के बावजूद नहीं दिया गया था।

नीयत सही हो तो बिना बोले भी बदलाव होता है, वक्त की प्रतीक्षा नहीं की जाती।

जय किसान।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के व्यस्तता के बीच मोदीजी आचार्यश्री विद्यासागर जी का आशीर्वाद लेकर चले गये थे। मुट्ठी भर लोगों को ही तब पता था प्रधानमंत्री जी के इस अल्प प्रवास के बारे में।
साहित्य उसे कहते हैं, जिसमें सबका हित निहित हो। सबका साथ सबका विकास। सुरसरि सम सबके हित होई।
इस साहित्य की परिभाषा ही कम्युनिस्टों ने बदल दी थी। जो भी देश-समाज-सनातन का अहित करने वाला हो, उसे साहित्य कह दिया जाता था। चार अक्षर पढ़ लिया, साधू को दुख दिया।
अब साहित्य भी अपने असली ध्येय की ओर बढ़ रहा है। सरस्वती साधक, अनगिनत ग्रंथों के भाष्यकार
पूज्यपाद जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी को सर्वोच्च ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्राप्त होने का समाचार स्वामी जी के पटल से मिला है।
बधाई सनातन। ज्ञानपीठ का इससे अधिक सम्मान और नहीं कुछ हो सकता था।
-चित्र: साभार

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