कौशल सिखौला : चुनाव आते ही अपनों की शह पर विदेशी हमले.. चाहे जार्ज सोरस हों या हिंडनबर्ग ? ग्रेटा थनबर्ग, रिहाना, मिया खलीफा फिर पनामा पेपर्स…

ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी !
ट्विटर से निवृत्त हुए दो वर्ष हो गए !
चुनाव आए तो उन्हें अचानक भारत की याद आ गई!

अपने ग्रुप्स में साझा कीजिए।

वैसे ही जैसी हमारे देश में विपक्ष को सरकार की याद आती है और दुनियाभर की टूल किट्स को भारत की याद आती है !
डोर्सी का आरोप है कि किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार ने विपक्षी नेताओं के कईं ट्वीट हटाने के लिए उन्हें धमकी दी !
यहां तक कि भारत में ट्विटर को बंद तक करने की चेतावनी दी गई !

जैसा कि होना ही था , चुनावी माहौल शुरू हो चुका है , विपक्ष ने डोर्सी के बयान को हाथों हाथ लिया। सुप्रिया सुनेत ने टीवी चैनलों पर आकर खासी आंखें तरेरी। दिग्विजय सिंह के हाथों तो मानो तीतर बटेर लग गए हों। विपक्ष के अन्य नेता भी खासे बोले । इसमें कुछ गलत भी नहीं है । देश में विपक्ष में कोई भी होता , इस खुलासे पर सरकार को घेरता तो जरूर । सरकार ने यदि ऐसा किया है तो कोई ठोस जवाब आना चाहिए । अभी तक भाजपा के प्रवक्ता ही बचाव में उतर रहे हैं । वैसे डोर्सी ने जो कहा है , उसकी याद उन्हें रिटायर होने के दो साल बाद तभी क्यों आई जब भारत में चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ रही हैं।

यह सच है कि जैक डोर्सी ट्विटर के सबसे महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं तो उनके पास जानकारियां भी असीमित होंगी । डोर्सी गलत कह रहे हैं या सच इसकी बाबत केवल वही जानते है । सच यह भी है कि ट्विटर का प्रयोग दुनिया भर के शीर्ष नेता करते हैं । शीर्ष नेताओं को ट्विटर से शिकायत कम नहीं रहती । अब ट्विटर का जमाना है । राष्ट्रध्यक्ष तक अपनी बात कहने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने या प्रेस नोट जारी करने की बजाय ट्विटर पर बात करते हैं । उनका बयान एकदम दुनियाभर में दिखाई पड़ जाता है।

वैसे ट्विटर मनमाने ढंग से किसी का भी एकाउंट हटाने के लिए मशहूर है । उसने डोनाल्ड ट्रंप का एकाउंट हटा दिया था। भारत सरकार के संचार व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद , अभिनेत्री कंगना राणावत आदि अनेक के अकाउंट भारत में भी हटाए गए। ब्लू टिक हटाने और देने में भी ट्विटर की मनमानी चलती है । डोर्सी ने जो कहा वह कितना सच है , ट्वीटर के वर्तमान सीईओ को इसका खुलासा करना चाहिए।

निश्चय ही सरकार ने ऐसा किया होगा तो उसे घोर आपत्तिजनक माना जाएगा । यदि डोर्सी गलत निकले तो साबित हो जाएगा कि अगले बरस तक टूल किट्स भारत में कितनी कारगुजारियां दिखाने वाली हैं । एक बात साफ है । भारत की राजनीति पर हमले देश के बाहर से हो रहे हैं । अब वे चाहे जार्ज सोरस हों या हिंडनबर्ग ? ग्रेटा थनबर्ग हों , रिहाना , मिया खलीफा या फिर पनामा पेपर्स । कुछ विदेशी एजेंसियां भारत को समृद्ध होते देखना नहीं चाहती । इन्हें दाना पानी भारत से ही मिलता है । हमारे एक महाशय इस काम के लिए खुद ही विदेश पहुंच जाते हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *