NRI अमित सिंघल : अभिजात वर्ग की व्यथा.. “मध्यम वर्ग” प्रधानमंत्री मोदी का समर्थक है

नवंबर 2019 में इंडियन एक्सप्रेस में तवलीन सिंह का लेख छपा था। इसमें तवलीन रूदन कर रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वितीय कार्यकाल में “नए” – ध्यान दीजिये, नए – अभिजात वर्ग ने अब भारत के मार्गदर्शन का पूरा प्रभार ले लिया है। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि यह नया अभिजात वर्ग कौन है और इसके मूल्य क्या हैं?

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तवलीन लिखती है कि पुराने अभिजात वर्ग के विपरीत, जो आम तौर पर “उच्च वर्ग और उच्च जाति” – ध्यान दीजिये, उच्च वर्ग और उच्च जाति – के थे, नया अभिजात वर्ग पूरी तरह से निम्न मूल और निम्न जाति का है।

आप ठीक पढ़ रहे है। तवलीन लिख रही है नया अभिजात वर्ग पूरी तरह से निम्न मूल और निम्न जाति का है।

तवलीन आगे लिखती है कि यह नया अभिजात वर्ग मोदी के प्रति श्रद्धा, नए मूल्यों से लगाव और उन लोगों से गहरी नफरत करता है जो केवल अपने विशेषाधिकार के कारण लाभ उठा रहे थे।

इसके पूर्व अरुण शौरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि आरएसएस के “भूखे-नंगे” लोग अब प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक है। उनके इस समर्थन से क्रोधित होकर शौरी इन “भूखे-नंगे” लोगो के विरूद्ध इंटरव्यू में आग उगल रहे थे।

अब राजदीप सरदेसाई आग-बबूला होकर मध्यम वर्ग को सांप्रदायिक बोल रहे है। निर्धनों के गुण गा रहे है कि वे सांप्रदायिक नहीं होते।

मैं कई वर्षो से लिखता आ रहा हूँ कि प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी, GST, आधार, सब्सिडी का सीधे लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर, अनुच्छेद 370 के समापन के द्वारा उच्च वर्ग और उच्च जाति के अभिजात वर्ग का रचनात्मक विनाश का दिया है; साथ ही, शौचालय, घर, कुकिंग गैस, घर में पाइप से जल की आपूर्ति, इत्यादि के द्वारा “निम्न मूल और निम्न जाति” एवं “”भूखे-नंगे” वर्ग के नए अभिजात वर्ग का उदय कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी स्वयं कई बार कह चुके हैं कि जिस निर्धन को घर मिल रहा हैं, वह लाखो रुपये की संपत्ति का स्वामी हो जाता हैं – एक तरह से निम्न मध्यम वर्ग में प्रवेश कर जाता हैं।

तभी भ्रष्ट परिवादवादी पार्टिया, खानदान के बूते पे पत्रकारिता करने वाले लोग, परिवार के बूते पे लाखो-करोड़ो का गबन कर जाने वाले दलाल प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में खड़े है।

क्योकि उनकी “दुकान” भारत को जानबूझकर निर्धन रखने से चलती थी।

राजदीप के रूदन को इसी सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए।

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