अमित सिंघल : प्रधानमंत्री मोदी को “पागल” व्यक्तियों से निपटना आता है।

पाकिस्तान पर स्ट्राइक के दो दिन पूर्व का लेख।

अगर आतंकी क्षेत्र उधार लेकर पिछले उधार का ब्याज चुका रहा है और एक तरह से कंगाल हो चुका है। तो ऐसी क्या बात है कि इसकी बंदर घुड़की चालू रहती है या फिर यह युद्ध की धमकी देता रहता है।

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इस विषय को मैडमैन थ्योरी (madman theory) या पागलव्यक्ति सिद्धांत के संदर्भ में समझने का प्रयास करते हैं।

मैडमैन थ्योरी के जनक अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को माना जाता है। सोवियत यूनियन और उसके मित्र देशो से निपटने के लिए निक्सन ने अपने विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से यह अफवाह फैलवा दी कि निक्सन विवेकरहित और अस्थिर व्यक्ति है, एक तरह से विक्षिप्त इंसान है जो पता नहीं कब भड़क कर परमाणु बम से हमला कर दे।

अब परमाणु हथियार सोवियत यूनियन के भी पास था। लेकिन कोई भी राष्ट्र ऐसा युद्ध नहीं चाहता था जिसमे शुरू में ही अमेरिका अप्रत्याशित रूप से विनाशकारी हमला कर दे। यद्यपि रूसी लोग लोग भी बाद में उतना ही विध्वंसकारी जवाब देते, लेकिन अपने स्वयं के नुकसान होने की संभावना से मामले को तूल नहीं देते थे।

इस सिद्धांत को आतंकी क्षेत्र ने भी अपना लिया। इसके नेताओ ने यह ढोंग करना शुरू कर दिया कि वे पागल है और भारत को परमाणु हमले में नष्ट कर देंगे।

आतंकी क्षेत्र के निवासियों के मन में यह बात बैठा दी जाती है कि भारतीय (हिन्दू पढ़िए) कायर है और एक घुड़की से डर कर भाग जाएंगे। दूसरी बात यह है कि उन्हें पता है कि भारतीय विवेकशील होते है; वे बीसियों जोड़- घटाना लगाएंगे और इस निष्कर्ष पे पहुंचेंगे कि एक आतंकवादी हमले के जवाब में अंदर घुसकर मारने से युद्ध हो जाएगा जिसमे भारत का इतना-उतना नुकसान हो जाएगा और फिर चुप बैठ जाएंगे। तीसरा, विश्व समुदाय परमाणु युद्ध की आशंका से भारत पे दबाव डालेगा कि वह कोई ऐसी कार्रवाई न करे जिससे बात बढ़ जाए।

आतंकी क्षेत्र के इस पागलव्यक्ति सिद्धांत को पहली बार वाजपेई सरकार ने तोड़ा जब उन्होंने संसद पे आतंकवादी हमले के बाद “रफू” वाले “मूष” की “धमकी” के बावजूद सीमा से सेना हटाने से मना कर दिया। अब “मूष” का रफू करने वाले की हालत खराब हो गयी। उसे पता था कि एक्चुअल युद्ध में उसकी सेना एक दिन भी नहीं टिक पाएगी। और परमाणु शस्त्र के प्रयोग का मतलब आतंकी क्षेत्र विश्व के नक़्शे से ही गायब हो जाएगा।

लेकिन सोनिया सरकार के समय में फिर से आतंकी क्षेत्र की मैडमैन थ्योरी काम कर गयी। कई आतंकवादी हमले हुए। मुंबई में भयंकर हमला हुआ। कॉंग्रेसियो ने शोर मचाया, लेकिन कोई ऐसा एक्शन नहीं लिया जिससे अगले वहशी हमले के लिए आतंकी दस बार सोचे। एक्शन ले भी नहीं सकते थे क्योकि एक भी बड़ा हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और लड़ाकू विमान खरीदा ही नहीं था।

फिर मोदी सरकार आ गयी। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकी हमले का जवाब दिया जाएगा। दिया भी गया।
किन सर्जिकल स्ट्राइक का आतंकी क्षेत्र ने खंडन किया या फिर कहा कि कुछ कौव्वे एवं वृक्ष नष्ट हो गए है। क्योकि उसे स्वीकार करने का अर्थ था कि आतंकी क्षेत्र के निवासियों को पिलाई गयी घुट्टी के विपरीत भारतीय कायर नहीं है तथा वे बीसियों जोड़-घटाना करके घर में घुसकर जवाब देंगे जिसके बदले में आतंकी क्षेत्र खुले तौर पे कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक पे विश्व समुदाय ने भारत का साथ दिया।

तभी आतंकी क्षेत्र के एक मंत्री ने पुलवामा हमले के बाद फिर से परमाणु हमले की धमकी यह कहते हुए दी कि भारत के मंदिरो में घंटी बजनी बंद हो जायेगी (ध्यान दीजिए कि उसने यह नहीं कहा कि अजान बंद हो जायेगी)।

अब भी वही धमकी दी जा रही है। क्योकि उन्हें पता है कि कंगाली के कारण आतंकी क्षेत्र युद्ध में नहीं टिक सकता। उसे पता है कि यह बात भारत को भी पता है. अतः, उन्होंने मैडमैन थ्योरी को फिर से अलमारी से बाहर निकाल लिया और झाड़-पोछकर उसका सहारा ले रहे है।

लेकिन आतंकी क्षेत्र – और भारतीयों – को भी पता है कि प्रधानमंत्री मोदी जवाबी कार्रवाई करेंगे।

लेकिन वह कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं होगी। क्योकि आतंकी क्षेत्र 200 -500 कौव्वो की आहुति के लिए मानसिक रूप से तैयार है। बदले में वह भी कुछ मिसाइल छोड़ देगा और विजय की घोषणा कर देगा।

भारत पर जो आतंकी हमला, पुलवामा के बाद, 6 वर्ष के गैप के बाद हुआ है, अगला हमले के लिए इतनी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।

अतः प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम इस समय बीसियों जोड़-घटाना कर रही है और जवाब ऐसा हो सकता है कि मैडमैन थ्योरी सदैव के लिए अलमारी में घुस जायेगी।

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