अमित सिंघल : PM मोदी ने एक मीटिंग वॉर रूम में की..

18 सितम्बर 2016 को सीमा पार से आये आतंकियों ने उरी में 19 सैनिको को मार दिया था। जैसे ही यह समाचार दिल्ली पहुंचा, प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा तंत्र से सम्बंधित अधिकारियो, जिसमे डोवाल साहेब भी सम्मिलित थे, की एक मीटिंग वॉर रूम में की।

उस मीटिंग में भारतीय नेतृत्व ने दो निर्णय लिए। प्रथम, भारतीय सेना इस फाइट को शत्रु क्षेत्र में ले जायेगी और उरी हमले का निर्दयी जवाब दिया जाएगा।

द्वितीय, प्रधानमंत्री मोदी एवं अन्य मंत्रीगण तब तक एक चिर-परिचित भ्रम की स्थित बना कर रखेंगे जो भारत की निष्क्रियता की साख को बढ़ावा देगी, जब तक वह निर्दयी रेस्पॉस डिलीवर नहीं हो जाता।

पहले निर्णय के कार्यान्वन के बारे में सबको पता है। सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह को पूरी छूट दे दी गयी कि रिस्पांस कैसे डिलीवर करना है।

द्वितीय निर्णय को लेकर अगले दिन से एक विस्तृत स्वांग रचाने की प्रकिया शुरू कर दी गयी।

विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने बयान दिया कि भारत इमोशन के आधार पर एक्शन नहीं ले सकता। कुछ ही समय बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि उरी में मारे गए सैनिको का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने सेना को “ठोस कदम” लेने को कहा।

लेकिन कहीं शत्रु को शक ना हो जाए, अतः जूनियर मंत्रियों को कुछ तीखे स्टेटमेंट देने को कहा गया। राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि समय आ गया है कि अब पलटवार किया जाए।

24 सितम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने केरल में एक जनसभा में कहा कि भारत और पाकिस्तान को कॉमन शत्रु – निर्धनता, सामाजिक बुराइयां, निरक्षरता एवं बेरोजगारी – के विरूद्ध लड़ना चाहिए और देखे कि इस युद्ध में कौन जीतता है।

प्रधानमंत्री के इस स्टेटमेंट से जनता एवं मीडिया भौचक्के थे। वे प्रधानमंत्री से कड़े शब्दों एवं सैन्य एक्शन की आशा कर रहे थे।

लेकिन निर्धनता के विरुद्ध युद्ध ने एक ऐसा छल क्रिएट किया जिसने सन्देश दिया कि भारत में केवल पोलिटिकल आडम्बर किया जाता है और किसी भी कार्यवाई के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।

उधर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 27 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत ने पिछले दो वर्षो से पाकिस्तान की ओर एक ऐसी मित्रता का हाथ बढ़ाया है जिसका पूर्व में कोई उदाहरण नहीं है। हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को ईद की शुभकामनाएं दी, उनकी क्रिकेट टीम की सफलता की कामना की। लेकिन हमें बदले में क्या मिला। पठानकोट एवं उरी।

जब सुषमा स्वराज अपना सम्बोधन दे रही थी, उसी समय, जब भारत में रात थी, भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेज के कमांडो को सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया गया। भारतीय कमांडो घर में घुसकर दर्ज़नो आतंकियों को मारकर 29 सितम्बर को बिना किसी नुकसान के वापस आ गए।

जैसे ही कमांडो भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गए, प्रधानमंत्री मोदी को मिशन की सफलता की सूचना दे दी गयी।

इस घटनाक्रम विस्तृत वर्णन शिव अरूर एवं राहुल सिंह ने अपनी पुस्तक India’s Most Fearless भाग 1 में किया है।

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