सतीश चंद्र मिश्र : SPG और IB को गालियां इसलिए दे रहे हैं कांग्रेसी…
दरअसल SPG के खिलाफ कांग्रेस को ज़हर उगलना ही चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश के सामने SPG उसी प्रकार चट्टान की भांति खड़ी हो गयी जिस प्रकार केदारनाथ त्रासदी के समय पहाड़ों से अचानक नीचे उतरी चट्टान ने बाबा केदारनाथ के धाम का बालबांका नहीं होने दिया था।
ध्यान से पढ़े..
फिरोजपुर में 5 जनवरी को उजागर और असफल हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साज़िश को कांग्रेस ने पहले ड्रामा बताया। एक एक कर के दस्तावेजी तथ्य जब सामने आने लगे तो कांग्रेस ने SPG और IB के खिलाफ ज़हर उगलना शुरू किया। फिरोजपुर की घटना को कांग्रेस अब SPG और IB की असफलता बता रही है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक का जिम्मेदार SPG को ठहरा रही है।
दरअसल SPG के खिलाफ कांग्रेस को ज़हर उगलना ही चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश के सामने SPG उसी प्रकार चट्टान की भांति खड़ी हो गयी जिस प्रकार केदारनाथ त्रासदी के समय पहाड़ों से अचानक नीचे उतरी चट्टान ने बाबा केदारनाथ के धाम का बालबांका नहीं होने दिया था।
अपनी बात आगे बढ़ाने से पहले आपलोगों से इस एक प्रसंग का उल्लेख करना आवश्यक समझता हूं।
बात 90 के दशक की है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी अपने गृह जनपद से वाराणसी ट्रेन से आ रहे थे। वहां से उन्हें दिल्ली के लिए हवाई जहाज से जाना था। पूर्व प्रधानमंत्री होने के कारण SPG का सुरक्षा कवच उनके साथ चल रहा था। रास्ते में एक छोटे से कस्बे सादात रेलवे स्टेशन पर छात्र अपनी किसी मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन कर रहे थे। ट्रेन जब सादात स्टेशन पहुंची तो छात्रों का प्रदर्शन और उग्र हो गया था। छात्रों ने पथराव और आगजनी शुरू कर दी थी। संयोग से छात्रों को यह पता नहीं चल सका था कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी भी इसी ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस तथा SPG ने किसी तरह स्थिति संभाली थी। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को सुरक्षित लेकर ट्रेन सादात स्टेशन से निकल गयी थी।
इस घटना के कई वर्षों बाद, सम्भवतः 12-13 वर्ष बाद मेरी भेंट चंद्रशेखर जी की सुरक्षा से उस घटना के समय जुड़े रहे एक सुरक्षा अधिकारी से हो गयी थी। मैंने औड़िहार की घटना का जिक्र करते हुए उनसे पूछ लिया था कि भाईसाहब, SPG की सदस्य संख्या तो सीमित होती है। अगर हजारों की वह भीड़ चंद्रशेखर जी की बोगी पर हमला कर देती तो क्या होता.?
इस पर उन्होंने रहस्यमयी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए मुझ से ही पूछ लिया था कि SPG को क्या समझते हैं आप.? उन्होंने संक्षेप में इतना ही कहा था कि SPG के सुरक्षा कवच में रहने वाले व्यक्ति की हत्या के इरादे से उस तक पहुंचने से पहले, इस तरह की कोशिश करने वाले कम से कम एक हजार आततायियों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ेगा। घायल और मरणासन्न कितने होंगे बता नहीं सकता।
कई वर्ष पूर्व उन सुरक्षा अधिकारी द्वारा कही गयी उपरोक्त बात फिरोजपुर में प्रधानमंत्री का काफिला रुकते ही चरितार्थ हो गयी थी। काले कोट वाले SPG के जवान जब दुनिया की सबसे भयंकर और प्रलयंकारी बंदूकों के साथ अपनी कारों से तत्काल उतरे और प्रधानमंत्री की कार के चारों तरफ फैल गए तो रास्ता रोकने वाले पूरे झुंड या उनमें से किसी एक की भी हिम्मत प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ एक कदम बढ़ाने की नहीं हुई।
दअरसल ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री की कार की तरफ बढ़ने की कोशिश करने वाले को रोका नहीं ठोंका जाता है। ध्यान से देखिए उन वीडियो को तो किसी अराजक तत्व की कोई नारे बाजी भी आपको नहीं सुनायी देगी। पूरी तरह बंद नजर आएगी। न्यूजचैनलों के कैमरों के सामने डींगें हांकने और साक्षात काल को सामने खड़ा देखने में जमीन आसमान का अंतर होता है। 37 साल पहले इन गुंडों का सरगना भिंडरावाले भी बड़ी बड़ी डींगें हांका करता था। निर्दोष निहत्थे निरीह नागरिकों की हत्याएं भी करता था। लेकिन सेना की एक टुकड़ी से जब सामना हुआ था तो कुछ घंटे भी नहीं टिक पाया था। अपने साथी सैकड़ों हथियारबंद गुंडों के साथ कुत्ते की मौत मारा गया था।
5 जनवरी को काले कोट वाले SPG के जवानों में साक्षात काल दिखायी देने लगा था। उनकी घिग्घी बंध चुकी थी। उन गुंडों के साथ सड़कछाप वेश्याओं की तरह ठिठोली अठखेलियाँ कर रहे पंजाब पुलिस के गीदड़ों में भी भगदड़ का माहौल था। घटनाक्रम के जितने वीडियो भी आये हैं उन्हें ध्यान से देखिए, प्रधानमंत्री की कार के आसपास, दूर दूर तक पंजाब पुलिस की एक भी कांग्रेसी कठपुतली नहीं दिखायी देगी।
प्रधानमंत्री के काफिले से काफी दूरी पर दौड़ती भागती दिख रही वो ख़ाकी कठपुतलियां जंगल के उस बंदर की कहानी याद दिलाती दिखती हैं, जो शेर से बकरी के बच्चे को बचाने के नाम पर कई पेड़ों पर जल्दी जल्दी बहुत तेजी से चढ़ने उतरने के बाद हांफता कांपता हुआ बकरी को सफाई देता है कि मेरी भागदौड़ में कोई कमी रह गयी हो तो बताओ।
ध्यान रहे, एजेंसियां नगाड़ा नहीं बजाती हैं। ऐसा नहीं है कि IB को खबर नहीं थी। अब उजागर हो रहीं, उसके द्वारा पंजाब सरकार को लिखीं गयी चिट्ठियां यह सच बता भी रही हैं। सर्वज्ञात है कि कार्रवाई का अधिकार IB के पास नहीं राज्य सरकार के पास होता। लेकिन यह कल्पना भी कोई नहीं कर सकता कि पंजाब की कांग्रेसी सरकार इस कदर गद्दारी पर उतारू हो जाएगी कि अपनी पुलिस को IB की सूचनाओं पर कार्रवाई करने के बजाए उन के साथ सड़कछाप वेश्याओं की तरह ठिठोली अठखेलियाँ करने का आदेश दे देगी। लेकिन कातिलाना मंसूबों पर SPG के जवानों ने पानी फेर दिया। SPG के जैमर के कारण अन्य किसी प्रकार के रिमोट संचालित हमले की संभावना शून्य हो चुकी थी।
IB से मिल चुकी सूचनाओं के बाद भारतीय वायुसेना पंजाब सरकार की तरह गद्दारी पर उतारू नहीं हो गयी थी। आकाश के चप्पे चप्पे पर उसकी नजर थीं। फ्लाईओवर पर रुका प्रधानमंत्री का काफिला दअरसल खालिस्तानी गुंडों और पंजाब सरकार की देशद्रोही मिलीभगत को देश के सामने उजागर करने के लिए ही 20 मिनट तक रुका था। प्रधानमंत्री जी भलीभांति जानते थे कि काले कोट वाले भारत मां के सिंह सपूतों के सामने पाकिस्तानी खालिस्तानी इटैलियन नस्ल के कुत्ते कुछ क्षण भी नहीं टिक पाएंगें।
यही कारण है कि खालिस्तानी गुंडे, पंजाब की कांग्रेसी सरकार और देश भर के कांग्रेसी नेता SPG और IB को गालियां दे रहे हैं उसे पानी पी पीकर कोस रहे हैं।