मनीष शर्मा : मजदूरों का.. लेकिन छात्रों का पलायन मुख्यधारा का समाचार नहीं बन पाता है

अगर भारत में सबसे बड़े Brain Drain और Money Drain का उदाहरण अगर कोई है, तो वह है बिहार.

पिछले दिनों Business के सिलसिले में सैंकड़ो बिहार के बच्चों के interview लिए…. और यह समझ आया, कि बिहार के बच्चे अभिशप्त हैं पढ़ाई के लिए अपना घर छोड़ने के लिए.

बड़े दुःख की बात है, कि साधारण BA की पढ़ाई करने लायक एक भी ढंग का कॉलेज नहीं है बिहार में… Technical और Management कॉलेज तो दूर की बात है.

जिसको अच्छे से ग्रेजुएशन करना है या कोई technical Course करना है….वो दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बैंगलोर और आस पास के अन्य शहरों में जाने को मजबूर है।

ये भी एक पलायन ही है। मजदूरों का पलायन तो सबको दिखता है लेकिन छात्रों का पलायन मुख्यधारा का समाचार नहीं बन पाता है।

पलायन भी सामान्य नहीं है… यह बिहार का Brain Drain और Money Drain है.

12 वीं के साथ ही बच्चे की बिहार से विदाई की तैयारी होने लगती है। अधिकांश बच्चे मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के होते हैं… यह बच्चे अगले कुछ सालों में पढ़ाई लिखाई करने, कोचिंग करने, रहने खाने, यात्रा करने में लाखों रूपए खर्च करते हैं…. यह पैसा कोई ज़मीन बेच कर जुगाड़ता है, कोई बिहार सरकार की स्टूडेंट क्रेडिट card योजना का उपयोग करता है, कोई Loan लेता है.

और यह लाखों रूपये(प्रति छात्र) खर्च होते हैं दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बंगलौर या कलकत्ता में… वहाँ की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में.

ये मध्यम और निम्न मध्यवर्ग के छात्र दुबारा लौट कर फिर कभी बिहार नहीं आते। वहीं कहीं दिल्ली, मुंबई या बंगलौर में बस जाते हैं। नौकरी करते हैं, startup करते हैं… छोटी मोटी नौकरी भी करते हैं.. कुछ तो काफी अच्छे पदों पर भी पहुंचते हैं….यह जो पैसा कमाते हैं.. उसका एक बड़ा हिस्सा उसी राज्य में खर्च करते हैं… उसी राज्य को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं.

इनकी merit, इनकी योग्यता, इनके टैलेंट का फायदा दूसरे राज्यों को मिलता है… वहीं बिहार का नुकसान हो जाता है. यह लोग बिहार नहीं जाते….. शायद जाना चाहते हैं… लेकिन जाते नहीं हैं… जा पाते नहीं हैं…. बेहतर जिंदगी, बेहतर भविष्य की लालसा या कहिये अनिवार्यता इनके क़दमों को लौटने नहीं देती.

इन लाखों बिहारी छात्रों और कर्मचारियों का दर्द मजदूरों के दर्द के बराबर तो नहीं लेकिन उनसे कम भी नहीं है।

सोचिये अगर बिहार में आधारभूत सुविधायें हों.. तो ये लाखों लोग वहीं की अर्थव्यवस्था में पैसा लगाएंगे… और वहीं startup खोलेंगे, वहीं नौकरियां पैदा करेंगे……

लेकिन कहा ना… बिहारी अभिशप्त हैं…वहाँ का सामाजिक तानाबाना अभिशप्त है.. वहाँ की राजनीति अभिशप्त है…..और यह श्राप कब ख़त्म होगा.. पता नहीं.

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