समर प्रताप : डिग्रीधारियों की नौटंकी
यंहा पर जिस लड़के के पास बाल कटवाने जाता हूँ,पहले उसकी छोटी सी दुकान थी,अब पूरा सैलून खोल लिया है,तकरीबन 50- 60 लाख लगाए है सब मिला के,
वेटिंग रूम,वॉशरूम,2 चेयर,और फेशियल के लिये अलग कैबिन।
हाथ पर बड़ा सा कैंची का टैटू बना रखा है,पूरे ब्रांडिड आइटम यूज करता है,150 रुपये कटिंग के लेता है।
एक वाट्सप ग्रुप बना रखा है,जिसको आना होता है मैसेज करता है,दुकान में ग्राहक देखकर उसे टाइम बता देता है।
मैं बड़ा प्रभावित हुआ उससे,बात की तो बोला सर लोग नोकरी के पीछे पड़ते है,ये ऐसे काम है कि कोरोना में भी फोन कर कर के घर आते थे,
लोगो ने फालतू लिये लेकिन मैंने नही।
क्योकि वँहा भी जबरदस्त कमाई थी,घर के ही एक रूम में चलाता था।
लाखो में कमाई होगी उसकी महीने की।
अपने काम से प्यार करता है शर्म नही इसलिए कैंची का टैटू बना रखा था।
ऐसे ही एक चाय वाला देखता हूँ 30 या 35 हजार की नोकरी छोड़कर चाय बिक्री करता है,बड़ा खुश रहता है।
एक लड़का और मिलता है,लॉन्ड्री वाला कृष्णा।
उसे दिन भर फुर्सत नही है 4 आदमी खाली दिन भर प्रेस ही करते रहते है।
आप गाड़ी ठीक करवाने से लेकर,घर मे पलंबर,टाइल लगवाना,फिटिंग करवाना कुछ भी काम करवा लो।
रिक्वेस्ट करके लाइन में लग के करवाना पड़ता है।
आप पीछे पीछे घूमते है।
वो भी इतनी जनसंख्या के बाद,काम करने वालो के पास काम की कमी नही है।
देश की सीमा और संसाधन सीमित है,वो कभी नही बढ़ेंगे लेकिन जनसंख्या हमेशा बढ़ेगी जिसने उसकी जरूरत पकड़ ली उसे किसी नोकरी की जरूरत नही है।
लेकिन इस देश मे डिग्री धारियों ने डिग्री को सरकारी नोकरी की गारन्टी समझ लिया है।
पढ़ाई को नोकरी की सीढ़ी, जबकि पढ़ाई आपको सिर्फ शिक्षित करती है कि आप किसी भी फील्ड में कामयाब हो,हिसाब किताब कर सके।
अब जिनके लिये डिग्री ही सब है वो कभी पकोड़े तल के दिखाते है तो कभी संसद में घुसके नारे लगाना चाहते है।
सरकार को ऐसे लोगो के पिछवाडो पर मार मार के डिग्री छाप देनी चाहिए।
संसद में घुसने वाली हरकत कोई मूर्ख कैसे डिफेंड कर सकता है?
हजारो लोग मजदूरी करते है क्या वो सब काम न करके संसद में घुस जाएं।
ऐसे लोगो की तो डिग्री ही ले लेनी चाहिए, और इनके मूर्ख समर्थकों का तो कहना ही क्या है वो तो सरकार विरोध में अंधे है।