डाॅ. चन्द्र प्रकाश सिंह : छीनकर बांटना नहीं, बल्कि स्वयं उपार्जित कर दान देना यह भारतीय संस्कृति है

लूटना और बांटना यह लोकप्रियता अर्जित करने का सबसे सरल मार्ग है। कोई चालाक डाकू हो या माफिया वह लूट और फिरौती का कुछ भाग बांटकर अपने दुष्कृत्यों से बचने के लिए समाज में अपने प्रति समर्थन और सहयोग अर्जित करता है।

वास्तव में लूटना और बांटना अपराध की एक दूरगामी नीति है, जिसका उपयोग केवल छोटे-छोटे गिरोह ही नहीं दुनिया में चर्चित आक्रान्ताओं ने भी किया। मध्यकालीन अरबी आक्रान्ताओं के विजय अभियान का पूरा ताना-बाना ही लूटने और बांटने पर टिका हुआ था।

यूरोप में साम्यवाद के नाम पर ऐसी ही लूटने और बांटने वाली विचारधारा का सृजन हुआ। इसके आकर्षण में रूस में तीन करोड़ और चीन में छः करोड़ लोगों की हत्यायें हुईं, लेकिन इन दोनों देशों का अंतिम परिणाम क्या हुआ यह सबके सामने है।

स्वराज के समय भारत के तत्कालीन नेतृत्व को भी यह विचारधारा बहुत भाती थी, इसलिए वह भी उसी मार्ग पर चलने का प्रयास किया। राष्ट्रीयकरण के नाम पर उद्योग, बैंक आदि सभी प्रकार के उद्यमों को राज्य के अधीन कर दिया गया। इसमें बंटा तो कम गया और लूट अधिक हुई, लेकिन एक समय ऐसा आया कि लूटने के लिए ही कोई नहीं बचा और देश दिवालियापन के कगार पर आ गया।

जिस राज्य में लूटने और बांटने की परम्परा चलती है वहाँ के लोग उद्यम की भावना छोड़ देते हैं। उत्पादन करने की क्षमता रखनेवाला उत्पादन करना इसलिए छोड़ देता है कि उसके इच्छा के बिना ही उसे लूट लिया जाएगा और मुफ्त की खानेवाले कुछ करना इसलिए छोड़ देते हैं कि उन्हें लूट का माल मुफ्त में मिलेगा।

भारत की परम्परा इससे अलग रही है। भारत लूट कर बांटने में विश्वास नहीं करता, बल्कि अपने सामर्थ्य से उपार्जित कर दान करने में विश्वास करता है। उपार्जन के लिए तप करना और तप से प्राप्त निधि का दान करना यही भारतीय परम्परा है। किसी से छीनकर उसके स्वत्व का हरण करना यह भारतीय व्यवस्था का परिचायक नहीं है, बल्कि समाज के प्रति कर्त्तव्यबोध जागृत कर दान की भावना उत्पन्न करना यही भारत का धर्म है।

भारत छीनने-झपटने में नहीं, बल्कि परस्पर सहयोग एवं दान में विश्वास करता है। जिसके पास सामर्थ्य है वह कमाएगा और जो असमर्थ है उसे खिलाएगा। राज्य का कार्य व्यक्तियों को लूटना नहीं बल्कि उनमें समाज के प्रति उत्तरदायित्व बोध जागृत करना है।

साभार- डाॅ. चन्द्र प्रकाश सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *