कौशल सिखौला : आपके घोषणापत्र में देशवासियों की संपत्ति की जांच कराने की बात क्यों कही गई है ?
तो 2024 का आम चुनाव अब खुलकर हिन्दू मुस्लिम पर आ गया है ? शक की कोई गुंजाइश भी नहीं , चूंकि कांग्रेस के घोषणापत्र से आया और अब सीधे सीधे प्रधानमंत्री के मुख से आया है । अगले दिन गृहमंत्री अमित शाह सहित तमाम मंत्रियों ने अपने चुनावी भाषणों में पीएम के मंच से दिए बयान का अनुमोदन शुरू कर दिया । अभी सभी लोकसभा प्रत्याशी भी इसे आगे बढ़ाते रहेंगे।
चुनाव के बीच शुरू हुआ यह हिन्दू मुस्लिम एक खतरनाक खेल है । बात महिलाओं के मंगलसूत्र पर आ गई , लोगों की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति पर आ गई । गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के साथ लाभजनक पक्षपात को लेकर जो चैप्टर पीएम ने उठाया है , कांग्रेस पार्टी ने उसे सिरे से खारिज कर दिया । बात इतनी बढ़ गई कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र भेजकर प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है । संपत्ति छीनकर अधिक आबादी वालों को वितरण का सवाल काफी गंभीर है । यह देश के आम आदमी की जमा पूंजी पर चोट करता है।
बात गंभीर है , काफी गंभीर है । कांग्रेस घोषणापत्र में यदि यह लिखा है कि देश की महिलाओं से उनका सारा सोना लेकर मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों को बांटा जाएगा तो यह बेहद गलत और आत्मघाती है । देश में सभी को याद होगा कि 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि योजना आयोग की बैठक में देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।
वैसे मनमोहन सिंह ने यह भी कहा था कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते । हमने तो कांग्रेस या भाजपा का घोषणापत्र पढ़ा नहीं । पीएम ने पढ़ा होगा , तभी बोले होंगे । कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी की बात को साथ साथ खारिज़ कर दिया था । अब यदि खड़गे प्राइम मिनिस्टर से मिलने का समय मांग रहे हैं तो पीएम को उनसे पूछ लेना चाहिए कि आपके घोषणापत्र में देशवासियों की संपत्ति की जांच कराने की बात क्यों कही गई है ? संपत्ति अधिक जनसंख्या वालों को बांटने की बात आखिर किस लिए कही गई है ?
क्या सत्ता में आने पर कांग्रेस माफियाओं बक्श देगी , बेईमानों को छोड़ देगी और आम आत्दमी के लॉकर खंगालेगी ? क्या घर घर छापे मारकर लोगों की आलमारियां खोली जाएंगी ? आखिर कौनसी संपत्ति की जांच कराएगी कांग्रेस ? याद कीजिए आपातकाल जब यूपी के राज्यपाल एम चेन्ना रेड्डी ने मठ मंदिरों की संपत्ति का ब्यौरा मांग लिया था ? वह तो संतों के आंदोलन पर इंदिरा गांधी की गुरु मां आनंदमयी बिगड़ गई और अध्यादेश वापस हुआ । अब फिर घोषणापत्र में घर घर के लिए वही बात?
भारत में समय समय पर सामाजिक ध्रुवीकरण किसी न किसी मुद्दे पर होते आए हैं । इंदिरा ने चुनाव हार जाने के बावजूद जब सत्ता न छोड़ी , आपातकाल लगाया तब बहुत बड़ा सामाजिक ध्रुवीकरण हुआ । मंडल और कमंडल के दौर में जबरदस्त सामाजिक ध्रुवीकरण हुए । कारसेवकों पर गोलियां चलाने पर ध्रुवीकरण हुआ । गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन बोगी जला देने पर गुजरात दंगे हुए और ध्रुवीकरण हुआ । इसी ध्रुवीकरण से मोदी का उदय हुआ जो राम मंदिर निर्माण और 370 से होते हुए वर्तमान तक पहुंचा । क्या इस चुनाव में एक और ध्रुवीकरण हो रहा है , जिसने भारतीय समाज को दो धड़ों के बीच बांट दिया है ?