नैतिक नेतृत्व पर समझौता नहीं किया जा सकता : उपराष्ट्रपति
मैं आपसे एक ऐसे समाज का प्रतिनिधि और दूत बनने का आग्रह करता हूं जहां कानून के शासन का ईमानदारी से पालन किया जाता हो-उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि देश की समृद्धि और संप्रभुता के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद अनिवार्य है।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से ‘स्वदेशी’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी बनाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि परिवर्तनकारी टेक्नोलॉजी ‘सुनहरा अवसर’ देती है; जो नागरिकों को प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी बढ़ती वैश्विक छवि से देश में उत्साह का वातावरण है।
उपराष्ट्रपति ने बोधगया स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने नेतृत्व में मूल मूल्यों के महत्व को रेखांकित किया, तथा युवाओं को प्रलोभन और अनैतिक तौर-तरीकों को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा, “नैतिक नेतृत्व पर समझौता नहीं किया जा सकता; नैतिकता से समझौता करने से आप उस तरह का विजेता नहीं बन सकते, जिसे दुनिया सलाम करेगी।”
बोधगया स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के छठे दीक्षांत समारोह में छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने ‘भारत के भविष्य के पथप्रदर्शक’ के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे जोर देकर कहा, “मैं आपसे एक ऐसे समाज के प्रतिनिधि और दूत बनने का आग्रह करता हूं जहां कानून के शासन का ईमानदारी और कुशलतापूर्वक पालन होता हो।”
देश की समृद्धि और संप्रभुता के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से ‘स्वदेशी’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी बनाने की अपील की। श्री धनखड़ ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ऐसा करने से “हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान होगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।”
वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बीच भारत की बढ़ती आर्थिक रफ्तार की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि “हमारी बढ़ती वैश्विक छवि से देश में उत्साह का वातावरण है।” एक सक्षम इकोसिस्टम और नए परिदृश्यों की उपस्थिति पर जोर देते हुए उन्होंने छात्रों को “भारत की विकास गाथा में नए अध्याय लिखने के लिए प्रतिभा व कौशल का उपयोग करने” के लिए प्रोत्साहित किया।
क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, 6जी और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने युवा प्रतिभाओं के लिए मौजूद “सुनहरे अवसरों” को रेखांकित किया। श्री धनखड़ ने उनसे अपरंपरागत होने और लीक से हटकर सोचने का आग्रह करते हुए कहा, “आश्वस्त रहें कि आप कभी भी विचारों के भूखे नहीं रहेंगे क्योंकि स्टार्टअप इकोसिस्टम असीम अवसर प्रदान करता है।”
इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर; आईआईएम बोधगया के चेयरपर्सन श्री उदय कोटक; भारत के जी20 शेरपा और पूर्व सीईओ, नीति आयोग श्री अमिताभ कांत; आईआईएम बोधगया की निदेशक डॉ. विनीता एस सहाय और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।