समर प्रताप : भाजपा प्रवेश करने के साथ ही सबसे बड़ा यह अंतर आता है
‘पाप से घृणा करो पापी से नही’ ये बड़ी बड़ी जेलों के दरवाजे पर लिखा होता है।
बाल सुधार गृह से लेकर नशामुक्ति केंद्र तक जगह जगह खुले हुवे है।
कोई शराबी शराब छोड़ कर सही रहे तो क्या समाज उसे ये बोलेगा की अरे यार इसे क्यो बुला रहे हो घर पर ये तो शराबी था।
था और है में फर्क होता है वर्तमान डिसाइड करता है आप क्या है।
इस देश मे डाकू से रामायण लिखकर ऋषि बने वाल्मीकि जी को पूजा जाता है।
बस विचारधारा भी ऐसी ही चीज है सपा का अग्रवाल राम को गाली देता था बीजेपी ज्वाइन कर ली आज तक कभी गलत बोलते दिखा क्या आपको ????
सिधु बीजेपी में था सही था कांग्रेस में गया तो पाकिस्तान से नीचे बात ही नही करता था,जेल सुधार प्रोग्राम हुआ और अब नेतागिरी छोड़कर कमेंट्री कर रहा है।
ऐसे सैंकड़ो उदाहरण है।
राम को गाली देने वाले मंदिर को गुंडों का स्थान बोलने वाले मंदिर मंदिर घूम रहे है।
यही तो सुधार प्रोग्राम है जिसे अमृतलाल में पूरा किया जा रहा है।
जो भी जातिवाद की अति से निकलकर देश धर्म और सभी समाजो के लिये सोचेगा समझो अमृतकाल मे उसी की घर वापसी तय है,
नीतीश कुमार क्यो बार बार घूमकर आ जाते है उन्हें पता है दूसरी साइड तो नगड और लुटेरे बैठे है।
उनके परिवार को ही 10 सीट चाहिए बाकी को क्या मिलेगा और जनता को तो बस नारे लगाने है जीवन भर जातिवाद की दलदल में।
इसलिए विपक्ष के जातिवादी,नकलस्वाद,कुर्सी के लिये फंडिंग और बहुत सी बीमारियों से जैसे ही इंसान देश के लिये सर्व समाज के लिये सोचकर आगे बढ़ेगा उसकी घर वापसी तय है।
ये अमृतकाल है मित्रों सबका का सुधार कार्य प्रगति पर है।
और जो भाई देश समाज के लिये घर वापसी चाहे तो उनका स्वागत है।
संजय निरुपम जैसे तमाम नेता घर वापसी चाहते है अपने पाप का प्रायश्चित करना चाहते है।
यही सुधार कार्यक्रम है।