मनीष शर्मा : ये भी मुख्य कारण चीन से पंगे का..

भारत एक तेजी से बढ़ता हुआ देश है…. बढ़ती जनसंख्या है, बढ़ते उद्योग हैं… और उसी ratio में बढ़ती हुई उनकी ऊर्जा जरूरतें भी हैं.

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तेल महंगा होता जा रहा है.. कोयला महंगा हो रहा है… वहीं हाइड्रो dams बनाने में खर्च बढ़ रहा है.. वहीं Nuclear के अपने फायदे नुकसान हैं.. ऐसे में Solar ही सबसे अच्छा option है.

आज भारत में 70 GW Solar power बनाने की installed capacity है…और भारत अब दुनिया में चौथा सबसे बड़ी Solar Capacity वाला देश है.

इतने बढ़े स्तर पर Solar का इस्तेमाल हम कर रहे हैं… लेकिन इसके लिए काम आने वाले components, जैसे Solar
panels, PV Cells, PV Encapsulants – EVA & POE, and PV back sheets आदि हमारे यहाँ कम बनती थी….. लगभग 95% चीन से Import होती थी.

मतलब… हम जितना Solar Capacity को बढ़ाएंगे, उसी Ratio में हमारा चीन से Solar Components का import भी बढ़ता जा रहा था.. और यह एक बड़ा कारण था भारत और चीन के बीच Trade Deficit बढ़ने का.

लेकिन अब स्थिति पलट रही है…इस साल के पहले Half में भारत ने चीन से import किये जाने वाले Solar Components को 76% कम कर दिया है. इसी साल Solar के लिए सरकार 4500 करोड़ की PLI स्कीम भी लायी है.. जिसके बाद Local मैन्युफैक्चरिंग बढ़ गई है…. और अब तो हालात यह हैं कि भारतीय कम्पनिया 50 से ज्यादा देशों को अलग अलग Solar Components export भी करने लगी हैं.

आज दुनिया का सबसे बड़ा Solar Plant भारत में हैं…. Top-3 में से दो भारत में हैं… Top-10 में 4 भारत में हैं.

और अभी हम बिल्कुल शुरूआती दौर में हैं… यहाँ से यह कम से कम 100-200 गुणा बढ़ेगा अगले 15-20 सालों में

अच्छी बात यह है.. कि इस growth का फायदा चीन को ना जा कर हमारे ही देश में रहेगा….नौकरी बढ़ेंगी, pollution कम होगा… और Import बिल कम होगा, वहीं Export बढ़ेगा.

आज भारत Net Energy Importer है… लेकिन 15-20 सालों में यह Net Energy exporter बन जायेगा.

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