पंकज झा : गुरु घासीदास के संदेशों को अंगीकार कर सुसंस्कृत मानव बनें..
महान गुरु घासीदास जी की जयंती है आज। ये उस कथित बड़े समाज से नहीं आते थे जिनका धर्म-अध्यात्म पर अधिकार कहा जाता है। किंतु इन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना की और सर्व समाज के पूज्य हैं।
इन्होंने ‘मनखे-मनखे एक समान’ का आह्वान कर समानता-शुचिता, समाज में पवित्रता, अहिंसा आदि का संदेश दिया। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने, उन्हें मांस-मद्य आदि की बुराइयों से हटा कर सभ्य बनाने में बाबा का योगदान प्रातः स्मरणीय है।
गुरू घासीदास पशुओं से भी प्रेम करने की सीख देते थे। वे उन पर क्रूरता पूर्वक व्यवहार करने के खिलाफ थे। जीव हत्या, मांसाहार आदि बुराइयों से उन्होंने समाज को मुक्त किया।
बड़ी जाति का होने का झूठा गर्व करते हुए, पशु बलि आदि देकर स्वयं को विशिष्ट समझने वाले मुट्ठी भर लोगों को इनके उपदेशों से सीख लेनी चाहिये। इनके संदेशों को अंगीकार करते हुए सुसंस्कृत मानव बनना चाहिये।
जय बाबा।