वीर सावरकर को सजा देने वाले जज कांग्रेस के ये थे..
जो महाशय स्वातंत्र्य वीर सावरकर को 50 साल का आजन्म कारावास सुनाने वाले बेंच में थे, वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्थापना दिवस से ही उससे जुड़े थे और सन 1900 में उन्हें लाहौर में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया था।
कांग्रेस के अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद ही चंदावरकर को बॉम्बे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था जहां उन्होनें बाबा साहब सावरकर को सजा सुनाई थी।
ये महाशय जज के पद को त्यागने के बाद पुनः कांग्रेस में गए और उसके “नरम दल” के नेता बने।
देश का दुर्भाग्य है कि वो अब तक ऐसे तथ्यों से अनभिज्ञ है।
साभार – अभिजीत सिंह
स्वातंत्र्य वीर सावरकर हिंदू जाति के लिए क्या थे, इसका अंदाज़ा इस बात से लगा लीजिए कि उनके शरीरांत के पश्चात् एक अख़बार ने उनको एक वाक्य में परिभाषित करते हुए लिखा था –
Savarkar: Saviour of the Dying Race
कोई एक फ़िल्म सावरकर के व्यक्तित्व का सहस्त्रांश भी चित्रित नहीं कर सकती पर रणदीप हुड्डा की फ़िल्म #सावरकर उनके विराट व्यक्तित्व का एक रूप जरूर दिखा देती है।
वीकेंड्स पर जाकर जरूर देखिए, अपने बच्चों को दिखाइए।