मनीष शर्मा : राम लला की मूर्ति गर्भ गृह में.. अरुण योगीराज अमर हो गए हैं…
राम लला की मूर्ति गर्भ गृह में पहुंचा दी गई है…. मूर्ति के सामने आपको इसके शिल्पी अरुण योगीराज दिख रहे हैं(एकदम सामने सफ़ेद वस्त्रो में वही हैं)…. इन्होंने ने ही महीनों की कड़ी मेहनत के बाद हमारे राम लला को स्वरुप दिया है.

महीनों तक यही एक शिला को तराशते रहे…. अपनी कल्पना को छेनी हथोड़ी से नया स्वरुप देते रहे….. सोचिये उनके मन में क्या चलता होगा… कितनी बड़ी जिम्मेदारी का भार होगा उन पर…..500 वर्षों के संघर्ष के बाद यह लड़ाई ख़त्म हुई और अब करोड़ों भक्त अपने आराध्य को देखने के लिए लालायित हैं… एक बार ज़रा सोचिये… यह कितनी बड़ी जिम्मेदारी होगी.. करोड़ों लोगों की कल्पना को मूर्त रूप देना…. सोच कर ही सिहरन होने लगती है.
मूर्ति बनाते हुए शिल्पी भी उससे जुड़ जाता है… मूर्ति से बातें करता है…. क्यूंकि इतने महीनों से बस वही दोनों एक दूसरे के संगी साथी रहे हैं.
आज अरुण ने मूर्ति को जनता को समर्पित कर दिया है… वह अपने आराध्य के रूप को नमस्कार कर रहे हैं….हो सकता है वह भावुक भी हों… अपने अनुभव बताना चाह रहे हों… लेकिन क्या बताएं, किसको बताएं.. और कैसे बताएं??
महीनों लम्बी इस यात्रा में भगवान् राम के स्वरुप के देवत्व का सान्निध्य उन्हें मिला है… और निश्चित रूप से उन्हें कई तरह के अलौकिक अनुभव भी हुए होंगे…. ऐसी बातें कोई चाह कर भी नहीं बता पाता है… यह सब बस भक्त और प्रभु कर बीच ही रहता है
अब समय आ गया है… अपनी कला को नमस्कार करने का.. और करोड़ों श्रद्धालुओं को उनके प्रभु श्री राम सौंप देने का.
अरुण योगीराज अमर हो गए हैं… जब जब कोई भी प्रभु श्री राम के दर्शन करेगा.. अरुण योगीराज की कला से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेगा…
-चित्र प्रतीकात्मक।
