चंदर मोहन अग्रवाल : ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर
विदेश मंत्री जयशंकर साहब जी ने ईरान में जाकर चीन और पाकिस्तान द्वारा बनाए गए ग्वादर पोर्ट के नहले के ऊपर अपना दहला मारते हुए चाहबहार पोर्ट को लेकर ईरान के साथ एग्रीमेंट कर लिया है जिसके तहत अगले 10 वर्षों के लिए चाहबहार पोर्ट भारत के आधीन रहेगा और 10 वर्षों के बाद भी बिना किसी शर्त के बदले इसकी समय सीमा को बढ़ाया जा सकेगा।
चाह बाहर पोर्ट के भारत के आधीन आते ही अब INSTC (इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर) बनने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है और मजे की बात यह है कि यह अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों वाले देशों रूस और ईरान के साथ मिलकर बनाया जा रहा है।
दूसरी तरफ अमेरिका और यूरोप को साथ में लेकर भारत एक और इंटरनेशनल कॉरिडोर (The India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEC) बना रहा है।
दो पारंपरिक दुश्मनों (रूस और अमेरिका) के साथ सहयोग करते हुए भारत यह कॉरिडोर्स बना रहा है जो कि चीन के वन बेल्ट वन रोड इनीशिएटिव के मुंह पर जबरदस्त थप्पड़ है।