विनय कुमार : टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने सवाल उठाया है कि, नाटो अभी भी अस्तित्व में क्यों है?
अमेरिकी अरबपति ने कहा है कि सोवियत नेतृत्व वाली वारसॉ संधि, जो अब अस्तित्व में नहीं है तो नाटो जैसे सैन्य संगठन का पूर्वी यूरोप में विस्तार क्यों?
टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क अमेरिकी निवेशक डेविड सैक्स के विचारों से सहमत प्रतीत होते हैं, जिन्होंने तर्क दिया है कि सोवियत संघ के पतन के बाद, नाटो ने अस्तित्व में रहने का कारण खो दिया, लेकिन अपने आपको बनाये रखने और वैश्विक सैन्य संगठन का शून्य को भरने के लिए विस्तार की होड़ शुरू करने का फैसला किया।
शनिवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखते हुए सैक्स ने कहा कि 1990 के दशक में अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो संगठन को “अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ा” क्योंकि अब उसके पास सोवियत संघ के बराबर प्रतिद्वंद्वी नहीं थे। हालाँकि, विघटित होने के बजाय, यह एक नए मिशन के साथ आया। जिसका उद्देश्य विस्तार करना और अपने सैन्य ताकत के दमपर तेल व्यापार सहित संगठन के दुश्मनों के खिलाफ स्वयं को ताकतवर दिखाना है।
सैक्स ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, और एक आत्म-संदर्भित रूप में, नाटो विस्तार खुद को सही ठहराने के लिए उन देशों के विरुद्ध अनावश्यक शत्रुता पैदा करेगा, जो नाटो देशों के हितों के विपरीत कार्य करते हैं। इराक, अफगानिस्तान और सीरिया इसके उदाहरण हैं।
इस बीच, मस्क सैक्स से सहमत दिखे, उन्होंने एक्स पर लिखा, सच है। मुझे हमेशा आश्चर्य होता था कि नाटो का अस्तित्व क्यों बना रहा, जबकि इसकी शत्रुता और अस्तित्व का मुख्य कारण वारसा संधि भंग हो गई थी।
1990 के दशक से, इस संगठन (नाटो) में कई पूर्वी यूरोपीय देश शामिल हो गए हैं जो सोवियत गठबंधन वारसॉ संधि का हिस्सा हुआ करते थे, साथ ही बाल्टिक राज्य और कई बाल्कन देश भी इसमें शामिल हो गए हैं। यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद, फिनलैंड भी गठबंधन का हिस्सा बन गया, स्वीडन भी इसका अनुसरण करने के लिए तैयार था। रूस ने नाटो के विस्तार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए बार बार इसका विरोध किया है।
मॉस्को ने यूक्रेन के इस गुट में शामिल होने की संभावना पर विशेष चिंता व्यक्त की थी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसा करने की कीव की इच्छा को मौजूदा संघर्ष के प्रमुख कारणों में से एक बताया है।
यूक्रेन ने औपचारिक रूप से 2022 की बसंत ऋतु में नाटो सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जब उसके चार पूर्व क्षेत्रों ने रूस का हिस्सा बनने के लिए भारी मतदान किया था। हालाँकि, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि जब तक मौजूदा शत्रुता का समाधान नहीं हो जाता, तब तक कीव इसमें शामिल नहीं हो सकता।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भी कहा है कि, अमेरिका के इशारे पर नाटो गठबंधन को रूस पर लक्षित टकराव का उपकरण बताया है। जबकि कई पश्चिमी अधिकारियों ने दावा किया है कि मॉस्को कुछ वर्षों के भीतर नाटो पर हमला कर सकता है, जिसके जवाब में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि उन्हें ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें पश्चिमी देशों सहित अमेरिका को बर्बाद करना होता तो रूस यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष को इतना लंबा नहीं खींचता।
एलन मस्क की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब रूसी राष्ट्रपति की परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी को यूरोप में बहुत गम्भीरता से लिया जा रहा है। जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन सहित अब कई यूरोपीय देश खुद के परमाणु हथियारों को विकसित करने की बात कह रहे हैं, बनिस्बत अमेरिकी परमाणु हथियारों की यूरोप में तैनाती के।