अमित सिंघल : कारगिल.. इस चाल को काटने के लिए वाजपेयी जी की दीर्घकालिक रणनीति क्या थी ?

भाग 1
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मुशर्रफ़ ने कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया। उसकी चाल यह थी कि वह कहेगा कि उसकी सेना ने उन चोटियों पे कब्ज़ा नहीं किया है। अगर भारत उन चोटियों को छुड़ाने के लिए युद्ध करेगा, तो वह परमाणु हमले की धमकी दे देगा।

मुशर्रफ़ का मानना था कि इस धमकी के बाद अमेरिका (उसके कॅल्क्युलेशन में यूरोप कहीं नहीं था) सीजफायर या युद्धविराम करवा देगा, जो पाकिस्तान के फेवर में जाता। कारण यह है कि युद्धविराम होने के बाद दोनों राष्ट्रों की सेना जहाँ पर, जिस स्थिति पर होती, वही पर रुक जाती। दूसरे शब्दों में, पाकिस्तानी सेना का कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा बना रहता। फिर दोनों राष्ट्र शांति समझौते के द्वारा मामले को सुलझाने का प्रयास करते जिसे पाकिस्तान खींचता रहता। पाकिस्तान जोर दे सकता था कि शांति समझौता करवाने के लिए अमेरिका मध्यस्ता करे (उस समय अमेरिका पाकिस्तान का साथ देता था)।

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इस चाल को काटने के लिए वाजपेयी जी की दीर्घकालिक रणनीति क्या थी? कि भारत युद्ध भी करेगा; साथ ही लाइन ऑफ़ कंट्रोल को पार नहीं करेगा। अगर लाइन ऑफ़ कंट्रोल पार नहीं किया, तो युद्ध कैसे होगा? और कौन सा युद्धविराम? मुशर्रफ़ के पास इस रणनीति को काटने के लिए कोई चाल नहीं थी।

यूक्रेन-रूस युद्ध को इसी सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ट्रम्प युद्धविराम करवाना चाहते थे, जिसे कुछ विशेषज्ञ 3 वर्ष के युद्ध बाद सही रणनीति कह सकते है। आखिरकार जिस युद्ध को तीन वर्ष में नहीं जीत पाए, तो क्या आशा की सकती है कि इसे आप अगले तीन वर्ष में जीत जाएंगे? और अगर आप कहते है कि युद्ध को जीता जा सकता है, तो किसके दम पर? किस दाम पर?

वाजपेयी सरकार की कारगिल के समय की रणनीति शानदार थी, चातुर्य से भरपूर थी।

समय बीतने के बाद हम सभी भूतकाल के सम्बन्ध में ज्ञानी होते है।

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