अमित सिंघल : अमेरिका के बड़बोलेपन पर लहालोट होने वाले चुप क्यों हैं..?
जो लोग अमेरिकी नेता के बड़बोलेपन पर लहालोट हो रहे थे, वे अब चुप क्यों है?
भारत ने अपने ऐसे 18000 नागरिको को वापस लेने को स्वीकार कर लिया था जो अमेरिका में अनियमित तरीके से घुसे थे।
इसके बाद भी अमेरिका ने अब तक कदाचित 3 मिलिटरी फ्लाइट से ही लगभग 350 लोगो को वापस भेजा है। पछले दो सप्ताह से कोई फ्लाइट नहीं आयी है।
ना ही किसी अन्य राष्ट्र में ऐसी फ्लाइट भेजी जा रही है? ऐसा क्या हो गया?
उत्तर यह है कि ऐसी मिलिटरी फ्लाइट अत्यधिक मंहगी पड़ रही रही थी, जिसके लिए अमेरिकी विभाग के पास उपयुक्त बजट नहीं है। अधिक धन की मांग संसद से करनी होगी, जिसकी अनुमति की गारंटी नहीं है। इसके अलावा ऐसे अनियमित लोगो को ढूढ़ना अत्यधिक दुरूह होता जा रहा है।
फिर इन अनियमित लोगो के सस्ते श्रम से अमेरिकी कृषि, मीट (दूध निकालना, चारा खिलाना, साफ़-सफाई, जानवर काटना, खाल उतारना, टुकड़े करके उसे पैक करना इत्यादि), रेस्टोरेंट, कंस्ट्रक्शन एवं अन्य ऐसे उद्यम चल रहे थे और है जिसे करने के लिए एक नियमित अमरीकी तैयार नहीं है या 3-4 गुना पारिश्रमिक एवं अन्य सुविधाए मांगेगा।
कभी भी ऐसे लोगो को भारत एयर इंडिया की फ्लाइट से भोजन, चाय-कॉफी खिलपिला कर वापस नहीं लाएगा क्योकि ऐसे लोगो को वापस भेजने की जिम्मेवारी होस्ट नेशन (अमेरिका) की होती है।
मैंने लोगो की ऐसी पोस्ट पर कमेंट नहीं किया क्योकि लोग सहन नहीं कर पाते है। आखिरकार एक बार किसी “सादर” व्यक्ति ने इसलिए अमित्र कर दिया क्योकि वे वर्ष 2021 में बंगाल में एक “सख्त” गवर्नर की मांग कर रहे थे और मैंने पूछ लिया था कि क्या जगदीप धनकड़ सख्त नहीं है?
फिर भी, अब लिख रहा हूँ कि अंतर्राष्ट्रीय सन्दर्भ में यूरोप के ऐसे अनियमित लोगो के रिटर्न को एक समय मैंने दो वर्ष हैंडल किया था। तब मैं Communities, Returns and Minority Affairs का डिप्टी हेड था। टीम 125 लोगो के रिटर्न को स्वीकृति देती थी, फ्लाइट से आते एक-दो दर्जन थे। उसमे से भी एक-दो लोगो को एयरपोर्ट से लौटा दिया जाता था क्योकि उनकी “रेजीडेंसी” स्थापति नहीं हो पाती थी। तभी मैं “अनियमित” शब्द का प्रयोग करता हूँ, ना कि “अवैध” का।
साथ ही नेता जी अब अन्य देशो से आयात पर टैरिफ लगाने से पीछे हटने लगे है। कारण यह है कि मंहगाई बढ़ती जा रही है; अमेरिकी कार उद्योग ठप्प हो जाएगा। अमेरकी शेयर मार्केट लगातार गिरता जा रहा है और उनके धनी मित्र एवं निर्धन समर्थक परेशान है।
सरकारी कर्मियों की छटनी पर अब कण्ट्रोल किया जा रहा है क्योकि इस छटनी में ऐसे कई लोगो को नौकरी से हटा दिया गया जो पूर्व सैनिक थे और जो नेता जी के “कट्टर” समर्थक है। रुटीन सरकारी कार्य ठप्प हो गया है। कई अन्य लोगो को छटनी के बाद पुनः नौकरी के लिए वापस बुलाया जा रहा है।
रूस को अब सैंक्शंस की एवं भारत से आयात पर टैरिफ की धमकी दी जा रही है।
पूरी अमेरिकी व्यवस्था उथल-पथल में है। एलन मस्क को कैबनेट मीटिंग में हड़का लिया गया जिसके बाद नेता जी ने आदेश दिया कि अब सरकारी कर्मियों को हटाने के लिए कुल्हाड़ी का नहीं, बल्कि सर्जरी वाले चाकू का प्रयोग किया जाएगा।
सहमत कि अनियमित रूप से लोगो का प्रवेश अत्यधिक कम हो गया है। लेकिन क्या इसके लिए बड़बोलेपन की आवश्यकता थी?
क्या नेता जी के बचपने पर लहालोट होने की आवश्यकता थी? और उसकी आड़ में मोदी सरकार पर व्यंग्य कसने की?
