डॉ. भूपेंद्र सिंह : जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जो व्यक्ति दूसरे के सहारे है उसे नैतिकता का पाठ पढ़ाने का अधिकार गलती से भी नहीं है

यूक्रेन के पास अथाह संपदा है लेकिन उसके रक्षा का सामर्थ्य उसके भीतर नहीं है। कोई न कोई उसे लूटेगा अवश्य। कमजोर व्यक्ति के पास संपत्ति नहीं टिक सकती, यह एकदम तय बात है। इसमें यदि आपको संशय है तो आप दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हैं।
यूक्रेन के संपत्ति को लेने का पहला अधिकार अमेरिका को है क्यूंकि वह यूक्रेन की रक्षा कर रहा है। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसका दो कारण था पहला यह कि यूरोपीय यूनियन बार बार उसके संपत्ति के बंटवारे की बात कर रहे थे, दूसरी बात यह कि यदि तुरंत वह बंटवारा न हो तो उस परिस्थिति में नाटो को धीरे धीरे पूरब में बढ़ाते हुए रूस की घेराबंदी करने की थी। रूस ने लंबे समय से स्वयं को मज़बूत रखा है अतः कोई उसके सम्पत्ति पर अधिकार जताता उससे पहले ही उसने यूक्रेन पर चढ़ाई कर दी और स्थिति ऐसी बना दी की डील में या तो उसे भी यूक्रेन में हिस्सा मिलेगा अथवा कम से कम यूरोपीय यूनियन यह सोचना बंद कर देगा कि वह रूस से उसकी संपत्ति छीन सकते हैं।
जो संपत्ति की रक्षा नहीं कर सकता, उसे न संपत्ति रखने का अधिकार है और न उसके पास टिकना है। अब ज़ेलेंस्की को लगता है मानो नैतिकता के लिए अमेरिका और यूरोप अपना पैसा खर्च कर रहे हैं। पैसा हमेशा पैसा कमाने के लिए खर्च किया जाता है। नैतिकता के नाम पर कम से कम यूरोप और अमेरिका तो गलती से पैसा नहीं खर्चने वाले। यदि ज़ेलेंस्की अपने देश की ताक़त मात्र से यह युद्ध लड़ता तो उसके पास नैतिकता होती कि वह अमेरिका से आँख में आँख डालकर कहता कि मैं अपनी संपदा नहीं दूँगा, लेकिन जब तुमने सारी लड़ाई ही अमेरिका के दम पर लड़ी है तो उससे मना करना शुद्ध स्तर की धोखेबाज़ी है।
यूक्रेन की संपत्ति की लूट तय हैं क्यूंकि वह उसकी सुरक्षा में सक्षम नहीं है। प्रश्न यह है कि इसे अमेरिका अकेले करेगा, या यूरोप अकेले करेगा, या अमेरिका और यूरोप मिलकर करेंगे, या फिर अंततः रूस और अमेरिका मिलकर कर करेंगे।
यूक्रेन का राष्ट्रपति और यूक्रेन ये दोनों अक्षम हैं और वास्तव में जब ख़ुद को बेचना ही था तो कम से कम ऐसे देश को बेचते जो इनको ख़रीदकर ठीक से रखता लेकिन इस जोकर ने युक्रेन को किसी मज़बूत देश की रखैल बनाने के बजाय वेश्या में बदल दिया।
यह न देशभक्ति है, न नैतिकता है, न हिम्मत है, न ताक़त है, यह अव्वल दर्जे की मूर्खता है जिसमें कोई एक व्यक्ति ख़ुद के इमेज को स्थापित करने के लिए पूरे देश को अनिश्चितता की तरफ़ धकेल रहा है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जो व्यक्ति दूसरे के सहारे है उसे नैतिकता का पाठ पढ़ाने का अधिकार गलती से भी नहीं है।

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