नितिन त्रिपाठी : भारतीय भोजन पर लिखने वाला पागल…

भारतीय भोजन के बारे में किसी अंग्रेज को किताब लिखनी पड़ जाये तो वो पागल हो जाएगा. अमेरिका भारत से क्षेत्रफल में कई गुना बड़ा है. लेकिन ईस्ट कोस्ट से वेस्ट कोस्ट, साउथ कोस्ट से अप नार्थ तक साल के बारह महीने वही मिलेगा बर्गर, स्टीक और बेक्ड पोटैटो.

 

भारत में इतनी विविधता है कि बिहार से दिल्ली पहुँचने तक में चार पाँच बार भोजन पूरा बदल जाता है. उत्तर से दक्षिण पहुँचते पहुँचते तो इतना परिवर्तन आ जाता है भोजन डिशेज़ में जितना सामान्यतः दो महाद्वीपों के भोजन में अंतर नहीं होता. और मज़ेदार बात यह कि इतना ही नहीं हर जगह हर मौसम का भोजन अलग अलग होता है.

बरसात में अनरसा की गोली, जाड़े में गाजर का हलवा, गर्मी में बड़े मंगल का प्रसाद – हमारे लखनऊ में पूरा सीन ही बदल जाता है बदलते मौसम के साथ. जाड़ा चल रहा है और इन दिनों का फ़ेवरिट ब्रेकफास्ट आइटम है उबले हरे मटर हल्का फ्राई कर कटी प्याज़, हरी धनिया, भुने मसाले के साथ. बस यही दो महीने यह ब्रेकफास्ट आइटम चलता है फिर मौसम बदलेगा और होली के सीजन का ख़ान पान आ जाएगा.

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