पंकज झा : कृतज्ञ बनें, शिकायती नहीं.. एक अद्भुत संदेश…
नव वर्ष संदेश,
प्रिय भारतीय,
जब भी कभी आपको लगे कि यह उसे मिला, मुझे क्यों नहीं, ऐसा पक्षपात नियति ने आपके साथ क्यों किया है… तो आप 2020-21 को याद कर लें, फिर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए खुद से पूछें कि…
इन दो महामारी लहरों के दरम्यान मैं जीवित रहा, वे क्यों जीवित नहीं रहे, जो मेरी ही तरह जीवन से भरे हुए, सपनीली आंखों के साथ न जाने क्या-क्या भविष्य बुन रहे थे।
वह गुजरा समय लौट कर नहीं आना है, आना चाहिए भी नहीं। पर जब भी आपको लगे कि नियति ने आपके साथ पक्षपात किया है… आप याद उन्हें ही कर लें, जो लौट के घर न आये!
हम जीवित हैं, अर्थात् नियति ने हमें उन से काफ़ी अधिक दे दिया है। कृतज्ञ बनें, शिकायती नहीं। शुभ कामना।
प्रिय मेहनतकशों-महत्वाकांक्षियों,
अगर आप 6-7 घंटा काम नहीं करते हैं, तो निस्संदेह आप कामचोर हैं। लेकिन…
लेकिन, अगर आप पेशेवर हैं, और कोई राष्ट्रीय सरोकार नहीं हो आपके पास, फिर भी अगर आप आठ घंटा से अधिक काम करते हैं, तो आप काम डकैत हैं। कृपया बेहतर काम कीजिए। कम काम कीजिए। दूसरों को भी काम का मौका दीजिए। अभाव योग्य लोगों का नहीं बल्कि ‘काम’ का है। काम नहीं मिल पाना आज सबसे बड़ा संकट है। सो दूसरों के काम लायक भी जगह छोड़ें। अत्यधिक कामुक मत बनें। हवा आने दीजिये। नव वर्ष शुभ कामना।
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प्रिय किसानों,
नव वर्ष में आप ऐसी दुनिया का सपना देखें जहां कृषि में एमएसपी नहीं हो। आप आत्मनिर्भर भारत का सशक्त हिस्सा बनें। एमएसपी और कर्ज मुक्त कृषि, यही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए आपका ताकि आपका स्वाभिमान हमेशा दमकता रहे। पगड़ी सलामत रहे।
टिकैतों और डकैतों की सोहबत से मुक्त होकर देश के लिए सोना-चांदी उगलने का काम आपकी धरती फिर से करे। जहर और रासायनिक खादों की फ़सल के बजाय जीवनदायिनी अन्न उगाकर आप भी मज़बूत हों। यही कामना। शुभ कामना।
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प्रिय युवाओं,
नव वर्ष में आपको सबसे अधिक फोकस करियर पर करना चाहिये। जानते होंगे आप कि हवाई यात्रा में यही कहा जाता है कि आपदा के समय पहले खुद को सुरक्षित रखें, उसके बाद अन्य की सहायता करें।
कृपया राजनीति को मनोरंजन समझ इस पर अपना वक्त बर्बाद मत कीजिए। अगर यह आपके पेशेवर कार्यों को प्रभावित नहीं कर रहा हो, या पेशेवर तौर पर भी यही आपका पूर्णकालिक काम हो, तब तो ठीक अन्यथा इसके फैशन से बचायें खुद को।
यह जान लें कि समाज का अधिकाधिक राजनीतिकरण अब एक नया संकट हो गया है। राजनीति को अगर आप अन्य उद्योग जैसा समझ लें, तब भी यही कहा का सकता है कि कृषि की तरह ही, ‘रोजगार’ देने की इसकी क्षमता सीमित है। सो, अगर काफी सीरियस न हों आप तो यहां की चूहा दौड़ से खुद को बचायें। अन्य जिस भी क्षेत्र में आप स्वयं का महारत पाते हों, वहां हाथ आज़माएं।
एक समय था जब भारत में ‘आइ हेट पॉलिटिक्स’ का ट्रेंड था। असामाजिक और अन्य अवैध जातिवादी दल फले-फूले ही इसलिए क्योंकि आम लोगों और युवाओं को राजनीति से घृणा थी। इसी का लाभ लेकर तुष्टीकरण करने वाले दलों ने राजनीति को अपने बाप की जायदाद बना डाला था। तब अच्छे लोग राजनीति में खड़े हो ही नहीं सकते थे।
उस समय हम जैसे लोगों ने ‘आओ राजनीति करें’ नाम से अभियान चलाया हुआ था। कैम्पसों में जाकर युवाओं से आह्वान करते थे, लेख लिखते थे कि पीठ पर लैपटॉप लादे चाकरी करने से कुछ नहीं होगा। राजनीति कीजिए। ये 2004-06 आदि की बात होगी। लेकिन 2014 के बाद देश वास्तव में बदल गया। युवाओं ने राजनीति से खुद को जोड़ा और दुनिया नयी हो गयी।
पर अब यह राजनीतिकारण अधिक हो गया है, होता जा रहा है। अब अन्य क्षेत्रों की ओर झांकने का भी समय है फिर से। बात मेरी विरोधाभासी लग रही होगी, लेकिन है नहीं। इसे आप ऐसे समझिए…
राजनीति हमारी रगों में दौड़ता लहू है। और हमारा इसमें शामिल होना रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) जैसा। यह चाप यानी दबाव अगर कम हो, तब भी बीमारी और अगर अधिक हो तब भी हाई ब्लडप्रेशर। सो इसे संतुलित रखना है।
फिलहाल इस मामले में अब समाज हाई बीपी की ओर बढ़ रहा है। यानी हर जगह राजनीति ही राजनीति। लगभग हर युवा यहीं अपने सपनों को देखने लगा है। सो आपके लिए नव वर्ष का संदेश यही है जो ऊपर लिखा है अपन ने।
अगर पूरी तैयारी, योजना और संसाधन हो आपके पास, तभी राजनीति का रुख करें, अन्यथा राष्ट्र कार्य अन्य माध्यमों से बेहतर किया जा सकता है, राष्ट्रभक्त संगठन को अपना समर्थन बनाए रखते हुए भी आप वही करेंगे जो आप राजनीति करते हुए करते। आपके स्वर्णिम भविष्य की कामना। शुभ कामना।
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प्रिय सुपर रिच, धनाढ्यों…
अरबपति हो जाने की चूहा दौड़ से इस साल खुद को अलग कर लेंगे आप तो सच में भारत फिर से सोने की चिड़िया बन जायेगी।
इस साल यही संकल्प ले लें आप कि अपने जैसे ही अन्य नागरिकों के लिए भी आप जरा जगह छोड़ेंगे, तो समाज का भला तो होगा ही, आपके खुद का भी भला इसी से होगा।
अंततः दुनिया की सारी नेमतों को आप अपने पिता की जायदाद क्यों समझते हैं? अगर अवसर है आपके पास तो उसे अमीर होने की बनिस्बत मनुष्य होने में खर्च कीजिए न कृपया।
नव वर्ष में आपका यही संकल्प होना चाहिये कि अपनी सात पुश्तों की चिंता छोड़ इस वर्ष देश की नयी पीढ़ी मात्र की चिंता कर लेंगे। कोरोना और नक्सल समेत अनेक संकटों से बचने के लिए भी यह उपाय दमदार है।
आस-पड़ोस के दारिद्र्य समुद्र में आपकी समृद्धि का टापू अधिक दिन तक कायम रहने वाला नहीं है। आवश्यकता थोड़े समतलीकरण की होगी।
कृपया इसे कम्युनिस्ट विचार न समझें। यह राष्ट्रवाद है। यही अध्यात्मवाद है। यही हिंदुत्व है और यही हिंदू होना भी। मूलमंत्र बना लें इसे :-
ज्यों जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम
दूई हाथ उलीचिए, यही सयानो काम।
शुभ कामना।
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प्रिय लड़कों, मुलायम टाइप गलती मत करना नव वर्ष में।
प्रिय लड़कियों, लड़ सकने का ठेका प्रियंकाओं के पास ही रहने देना। आप तो मिलजुल कर रहना प्लीज। नव वर्ष शुभ कामना।
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प्रिय स्त्रियों,
आपको तो क्या ही कहें। ऐसी ही सुंदर बनी रहें और बनाये रखें अपनी तरह ही सुंदर दुनिया को भी। नव वर्ष शुभ कामना।
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आदरणीय बुजुर्ग,
दुनिया थोड़ी बदल गयी है। इस बदलाव को स्वीकार कर लीजिए न कृपया। आपके जमाने से अधिक सुंदर, अधिक पारदर्शी और ईमानदार हुई है आज की दुनिया। क्या जमाना आ गया, कह कह कर नयी पीढ़ी को मत कोसिये कृपया। धर्म, अध्यात्म, नैतिकता, सरोकार… हर मामले में नयी पीढ़ी आपसे बेहतर है। हां, इस पीढ़ी के नैतिकता का मापदंड थोड़े अलग हैं। स्वीकार कीजिए कृपया इसे। आप स्वयं में 40 प्रतिशत स्वीकार्य लाइए, आपके बच्चे स्वयमेव 60 प्रतिशत स्वीकार्य आपके प्रति ले आयेंगे। स्वास्थ्य आदि संबंधी परेशानियों से नयी उम्र के लोग मुक्त नहीं हैं, तो आपके उम्र का एक तकाजा तो होगा ही। पर अधिकतम संभव सावधानी रखिए। स्वयं को उपयोगी बनाये रखिए। जो नहीं बदलना है, उसे स्वीकार कीजिए, बदल सकने वाली सकारात्मक चीजों के लिए प्रयास जारी रखिए। भगवान भजन कीजिये किंतु नयी पीढ़ी को अपने जैसा ही अठारह घंटे भजन करने लायक बनाने की चेष्टा मत कीजिये। आप तय मानिए, आपके बुजुर्ग जिस स्थिति में रहे हैं, उससे सौ गुना अधिक बेहतर स्थिति में आप हैं। आप सौ वर्ष जियें। शुभकामना। प्रणाम सादर।।