दिलीप सी मंडल : बुत बुद्ध का बिगड़ा हुआ स्वरूप.. बुद्ध शौर्य का निषेध नहीं.. हिंसक प्रवृत्ति का निषेध हैं

प्रधानमंत्री जब कहते रहे कि “भारत युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश है” तो कई लोग समझ नहीं पाए। उनको लगा कि गांधी की तरह दूसरा गाल बढ़ा दिया जाएगा।

बुद्ध की अहिंसा कायरता नहीं है।

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भारत विश्व इतिहास का एकमात्र देश बना जिसने न्यूक्लियर हथियार संपन्न किसी देश की सीमा के अंदर घुसकर आतंक के दर्जनों अड्डों को ध्वस्त कर डाला।

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बुद्ध करुणा, समृद्धि और शांति का संदेश देते हैं। बुद्ध के मार्ग पर चलकर मौर्य, कुषाण, गुप्त, पाल राजाओं ने दक्षिण एशिया के हज़ारों मील तक फैले सबसे बड़े साम्राज्य बनाए। लकड़ी की तलवारों से ये महान और विशाल साम्राज्य नहीं बने थे।

बुद्ध शौर्य का निषेध नहीं है। वे हिंसक प्रवृत्ति का निषेध हैं। हम शांति चाहते हैं। विश्व शांति के लिए प्रयासरत हैं। पर हिंसा का प्रतिकार भी करते हैं।

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रावलपिंडी, कराची, लाहौर, फैसलाबाद के निकट तक के आतंक के ठिकानों पर वार हुए। जबकि एक भी जवाबी हमला हमारे किसी शहर को छू नहीं पाया।

ये भारत का शांति यज्ञ है। लक्ष्य शांति है।

इतिहास को देखें तो बौद्ध धम्म के अनुयायी साम्राज्य निर्माता और साम्राज्य रक्षक रहे हैं।

दक्षिण एशिया के हज़ारों मील तक फैले कुछ सबसे बड़े साम्राज्य निर्माता यानी मौर्य, गुप्त, कुषाण, पाल राजा बौद्ध थे।

ये साम्राज्य लकड़ी की तलवार के दम पर नहीं बने थे।

बुद्ध के संदेश में शांति और शौर्य दोनों हैं।

लेकिन ऐसा बौद्ध धम्म, जिसका इस्लाम के शुरुआती आक्रमण तक भारत में बोलबाला था, इस्लाम की तलवार के सामने क्यों नहीं टिका?

जानने के लिए आपको डॉ आंबेडकर की किताब क्रांति और प्रतिक्रांति पढ़नी चाहिए।

 

-श्री दिलीप सी मंडल जी के पोस्ट से साभार।

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