कौशल सिखौला : दलित वोट तो अब बसपा से होते हुए बीजेपी में समाहित हो चुके

जब से प्रधानमंत्री मोदी ने देश में चार जातियों की बात कर जाति जनगणना की हवा निकाली है , तब से जात पात खेलने वालों के होश उड़े हैं । कल ही अखिलेश यादव को महाब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन कर यह दिखाना पड़ा कि वे केवल यादवों के नेता नहीं हैं ।

दरअसल तीन राज्यों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के चयन में जैसी सोशल इंजीनियरिंग खेली गई , उसने जातीय बुनियाद पर घर बनाने वाले दलों के होश उड़ा दिए हैं । कल पश्चिम बंगाल की कांग्रेस इकाई ने दिल्ली में खड़गे से भेट कर बंगाल में ममता से सीट तालमेल न करने की अपील की हैं । उन्होंने कहा कि तालमेल हुआ तो बंगाल में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो जाएगा ।

प्रधानमंत्री द्वारा घोषित चार जातियां हैं – युवा जाति , किसान जाति , नारी जाति और गरीब जाति । अब सच देखें तो जातियों के इस बंटवारे ने जातिवादी पार्टियों की ही नहीं , मुस्लिम धर्मवादी कार्ड खेलने वालों को भी करारी चपत लगा दी है । मुसलमानों में भी तो युवा , नारी , किसान और गरीब जातियाँ विद्यमान हैं । तो समझ लीजिए कि हिंदुओं की भी चार जातियां और मुसलमानों की भी चार जातियां । दोनों में कोई भेद ही नहीं तो दबाव भी नहीं । सब ठीक चलता रहा तो मान लीजिएगा , एक दिन इन जातिवादी पार्टियों की बत्ती गुल हो जाएगी । सभी समाजों की जनता अब शिक्षित हो रही है , जिसका असर चुनाव में नजर आएगा।

भाई लोगों ने देश में जातियों को अपने स्वार्थ के लिए इस कदर बांटा कि मुस्लिम भाजपा को वोट नहीं करते थे । डंके की चोट पर नहीं करते थे । परंपरागत रूप से मुस्लिम , दलित और ईसाई वोट कांग्रेस की धरोहर रहे हैं । दलित वोट तो अब बसपा से होते हुए बीजेपी में समाहित हो चुके हैं । लेकिन , क्या आप जानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 8% मुस्लिम और 11% क्रिश्चियन वोट बीजेपी को पड़े । यह कैसे हुआ?

क्या यह मोदी की प्रगतिशील नीतियों का परिणाम है ? पसमांदा मुस्लिम वोट बैंक क्या बीजेपी की ओर झुक रहा है ? जोड़ते रहिए और घटाते रहिए । इस तमाम कैमिस्ट्री के बावजूद नेताओं का वजूद असर डालता है । तभी हम चाहते हैं कि मोदी की तरह इंडिया गठबंधन का भी कोई फेस होना चाहिए । नीतीश जैसा थका हुआ फेस मोदी फेस का मुकाबला नहीं कर पाएगा । वैसे सवाल यह भी है कि नीतीश नहीं तो क्या खड़गे?

जी नहीं । इंडिया संगठन में बड़े बड़े घाघ नेता तो हैं , पर फेस कोई नहीं । क्या राहुल एक फेस हैं ? इंडिया वाले देर न करें और जल्द कोई फेस चुनें । यह लॉलीपॉप कतई काम नहीं करेगा कि फेस परिणाम के बाद चुनेंगे । यकीन मानिए जनाब , बाद में और कुछ नहीं होगा , जूतों में दाल बंट जाएगी । जब सामने मोदी जैसा धुरंधर खिलाड़ी खड़ा हो तो कोई कलंदर ही सामने लाना पड़ेगा । चयन अभियान में देरी बहुत भारी पड़ जाएगी । नेता चुनिए , उसे फेस बनाइए , मिनिमम कार्यक्रम तैयार कीजिए और काम पर चलिए । खाली जाति जाति करने से कुछ होने वाला नहीं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *