आज समाप्त हुआ चातुर्मास.. आशुतोष अब कैलाश चले
ब्रह्मांड पर अब विष्णु भगवान का साम्राज्य
आज समाप्त हुआ चातुर्मास
देव जागरण के साथ मांगलिक कार्य प्रारम्भ
विष्णु और देवों के पाताल जाने पर पांच महीनों तक अकेले महाकाल भगवान शंकर संभाल रहे थे चराचर
आशुतोष अब कैलाश चले
आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ हुआ भगवान शंकर का साम्राज्य अधिक मास के कारण पांच माह चलकर अब समाप्त हो रहा है । राजा बली को दिया वचन निभाने पाताल गए विष्णु ने आज बाहर आकर इस चराचर जगत का कार्यभार संभाल लेंगे । देवोत्थान एकादशी पर कांसे का थाल बजाकर विष्णु को योगनिद्रा से जगाया जाएगा ।
विष्णु के साथ सुप्तावस्था में गए अन्य देवता भी जग जाएंगे । एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाली देव दीपावली इंद्रलोक और काशी में प्रारम्भ हो जाएगी । शिव कैलाश लौट जाएंगे और धरती पर विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे । इसी के साथ अबकी बार पांच महीने चला साधु संतों का चातुर्मास भी सम्पन्न हो गया है ।
देवताओं का शयन विष्णु की योगनिद्रा के साथ होता है और जागरण यह अवधि समाप्त होने पर । इन चार महीनों में भगवान शंकर इस ब्रह्माण्ड का संचालन अकेले करते हैं । इसके विपरीत विष्णु यह संचालन देवों की मदद से करते आए हैं । इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी 29 जून को थी जब विष्णु शयन को गए । आज देव जागरण के साथ ही जगत रचियता विष्णु भगवान लक्ष्मी तथा अन्य देवताओं के सहयोग से सम्पूर्ण चराचर का संचालन शुरू कर देंगे ।
धरतीवासी इस दिन घरों के आंगन में भीगे चावल के ऐपण से विष्णु आदि देवों की श्वेत रंगोली तैयार करते हैं । फर्श पर बनाई विष्णु अनुकृति के ऊपर कांसे का थाल उलटकर रख दिया जाता है । श्रद्धालु दिनभर व्रत रखकर सायंकाल थाल को मूली या गन्ने से बजाते हुए विष्णु को जगाएंगे । देव जागरण के दिन सुस्वादु भोजन घर घर बनाया जाता है ।
विष्णु के जगते ही कर्णछेदन , मुंडन , यग्योपवीत , सगाई , विवाह , वाग्दान संस्कार प्रारम्भ हो जाएंगे । विवाह संस्कार में विष्णु , शुक्र और बृहस्पति की उपस्थिति अनिवार्य है । मान्यता है कि ब्रह्मलोक , स्वर्ग और इंद्रलोक में इसी दिन से देव दीपावली प्रारम्भ होती है । देव जागरण के साथ ही परिव्राजक साधु , संन्यासी , वैष्णव , रामानंदी , उदासी और निर्मले यात्राओं पर निकल पड़ते हैं ।
देवशयन से देवजागरण तक के चार मास संन्यासियों के ज्ञान , साधना और तपस्या के दिन हैं । चार महीनों में अर्जित ज्ञान का वितरण संत समाज आठ महीनों तक देशाटन के माध्यम से देशभर में करता है । देवोत्थान एकादशी से शुरू हुई देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन विश्राम लेगी । कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने आएंगे । कैलेंडर वर्ष का यह अंतिम स्नान पर्व है ।